Sunday 13 December 2020

Milawat ka moh : मिलावट का मोह

खरी खरी - 755 : मिलावट का मोह

हल्दी में खड़िया
धनिए में लीद,
काली मिरच में
पपीते के बीज,
मिरच में लकड़ी का
बुरादा मिला है,
हर मसाले में मिलावट
का सिलसिला है ।

चावल में कंकड़
दाल में पत्थर,
आटे में मिट्टी
लगती है चर चर,
घी-तेल मिलावट से
हो गए बदतर,
अंदर से कुछ भी हो
खुशबू है ऊपर ।

शरबत में शकरीन
मिठाई में रंग है,
हर पकवान मिलावट के
रंग से भरा है,
लगता हरित है
रंग जिस भाजी का,
असली नहीं वह
नकली हरा है ।

'वर्क' मिठाई जो
ओढ़े हुए है,
ज़हर अपने में वह
जोड़े हुए है,
बर्फी में आलू
समाया हुआ है,
दूध में रसायन
मिलाया हुआ है ।

अरे ! ओ मिलावट
के धंधे वालो,
इस कुकृत्य से
अपना मन मोड़ो,
होगी एक दिन
दुर्गति तुम्हारी,
हैवानियत के इस
धंधे को छोड़ो ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
14.12. 2020

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