मीठी मीठी - 547 : कुमाउनी दोहे
(8 दोहे, 8 बातें)
कविता मन कि बात बतैं,
कसै उठी हो उमाव ।
बाट भुलियां कैं बाट बतैं,
ढिकाव जाई कैं निसाव ।।
द्वि आंखर हँसि बेर बलौ,
बरसौ अमृत धार ।
गुस्सम निकई कड़ू आंखर,
मन में लगूनी खार ।।
लालच जलंग पाखंड झुटि,
राग- द्वेष अहंकार ।
अंधविश्वास अज्ञान भैम,
डुबै दिनी मजधार ।।
धरो याद इज बौज्यू कैं,
शिक्षक सिपाइ शहीद ।
दुखै घड़िम लै भुलिया झन
धरम करम उम्मीद ।।
याद धरण उ मनखी चैंछ,
मदद हमरि करी जैल ।
हमूल मदद जो कैकि करि,
उकैं भुलण चैं पैल ।।
देश प्रेम जति घटते जां,
कर्म संस्कृति क नाश ।
निहुन कभैं भल्याम वां,
सुख शांति हइ टटास ।।
तमाकु सुड़ति शराब नश,
गुट्क खनि धूम्रपान ।
चुसनी माठु माठु ल्वे वीक,
बैमौत ल्ही ल्हिनी ज्यान ।।
आपणि भाषा भौत भलि,
करि लियो ये दगाड़ प्यार ।
बिन आपणि भाषा बलाइए,
नि ऊंनि दिल कि बात भ्यार।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
29.12.2020
कविता संग्रह 'मुकस्यार'
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