Thursday 17 December 2020

Bachchon ko samay dein ;बच्चों को समय दें

खरी खरी -757 : थोड़ा समय तो दें बच्चों को !

     बीते समय पहले  ग्रेटर नोएडा में कक्षा 11 के एक लड़के द्वारा अपनी मां और छोटी बहन की अपने ही घर में हत्या कर दी । इस दिल दहला देने वाली घटना ने एक बार फिर समाज के सामने यह प्रश्न खड़ा कर दिया है कि हमारे नौनिहाल कहां जा रहे हैं ?  इस हिंसा के लिए देखा जाय तो अभिभावक जिम्मेदार हैं ।  कक्षा 11 का छात्र करीब 16- 17 वर्ष का रहा होगा । अभी हाल में एक कक्षा 7 की लड़की ने अध्यापक की मामूली डांट पर घर आकर आत्महत्या कर ली ।

     सत्य तो यह है कि हमने बच्चों से कुछ भी कहना छोड़ दिया । बच्चों पर बाल्यकाल से ही नजर रखनी पड़ती है । हम तब उन्हें समझाने की सोचते हैं जब वे किशोर अवस्था के चरम पर होते हैं । हमारे बच्चे कैसे बोल रहे हैं, उनकी चाल-ढाल क्या हो रही है, उनमें अनुशासन कैसा है, वह घर के कार्यों में कितनी रुचि ले रहा है, भाई-बहन से उसका वर्ताव कैसा है, उसकी संगत किसके साथ है, उसके कपड़ों से नशा - धूम्रपान की बदबू तो नहीं आ रही, वह बाथरूम-टॉयलेट में कितना समय लगा रहा है, पढ़ाई तथा स्कूल के कार्य पर वह कितना ध्यान दे रहा है, जंकफूड पर वह कितनी रुचि लेता है, समाज से उसके बारे में कैसी प्रतिक्रिया मिलती है आदि । इन सब बातों पर मां की नजर अधिक पैनी होनी चाहिए ।

     ग्रेटर नोएडा का यह मां - बहन का हत्यारा छात्र एक दिन या एक महीने या एक साल में ऐसा कुपात्र नहीं बना । वह मिडिल कक्षाओं से बिगड़ चुका था । उसमें परिवार उचित संस्कार नहीं भी नहीं भर सका । उसका मोबाइल भी पिता ने कुछ दिन पहले ही ले लिया बताया जा रहा है । हम आजकल पालने से ही बच्चों को मोबाइल पकड़ा रहे हैं । हिंसा करना या दुष्कर्म जैसे अपराध करना बच्चे टेलिविज़न या मोबाइल से सीख रहे हैं । ऐसे बच्चे बहुत जल्दी क्रोधित भी हो जाते हैं ।

     इन पंक्तियों के लेखक ने कई बार कई किशोर होते लड़कों को समूह में बैठकर पार्कों में पोर्न देखते पाया है और उन्हें ऐसा नहीं करने के लिए समझाया भी है । "ब्लू ह्वेल" गेम ने भी कई बच्चे मार दिये । बच्चों पर निरंतर  नजर रखने वाले इस तरह के हादसों से बचे रहते हैं । व्यक्ति कितना भी व्यस्त हो, उसे अपने बच्चों की डायरी और नोटबुक जरूर देखनी चाहिए । इससे बच्चों को समझने और उन्हें भटकाव से रोकने में मदद मिलेगी ।

(कोरोना के दौर में बच्चों पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि वे ऑन लाइन शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं । वास्तव में शिक्षा ले रहे हैं या कुछ और कर रहे हैं यह अभिभावकों को जरूर देखना चाहिए । निरंकुशता भी बच्चों के लिए घातक है ।  'बचपन की बुनियाद' ही हमारे बच्चों को सफल नागरिक बनाती है । )

पूरन चन्द्र काण्डपाल
17.12. 2020

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