खरी खरी - 752 : कभैं आपूहैं पुछो !
भाग्य क भरौस पर
तमगा नि मिलन
पुज-पाठ भजन हवन ल
मैदान नि जितिन,
पसिण बगूण पड़ूं
जुगत लगूण पणी,
कभतै हिटि माठु माठ
कभतै दौड़ लगूण पणी ।
पढ़ीलेखी हाय
पढ़ी लेखियां जस
काम नि करें राय ,
गिचम दै क्यलै जमैं थौ
आपू हैं नि पूछैं राय,
मरि-झुकुड़ि बेर कुण नि बैठो
ज्यौना चार कभें त जुझो,
क्यलै मरि मेरि तड़फ
क्यलै है रयूं चुप
कभैं आपूहैं पुछो ?
पूरन चन्द्र काण्डपाल
11.12 .2020
No comments:
Post a Comment