Monday 21 December 2020

Khud ka sanchalan : खुद का संचालन

मीठी मीठी - 543 : खुद का संचालन

( अन्नदाता कृषक को सादर नमन )

   कर खुद अपना संचालन तू
   कर सुआचरण का पालन तू ।

   नित जारी रख अपना संघर्ष
   तेरे साहस में तेरा उत्कर्ष,
   शालीन मधुर ओजस्वी बन
   बन योगी कर नव सृजन तू। कर...

  जिस दिन उत्साह तेरा जागेगा
  तुझे देख अँधेरा भागेगा,
  विपरीत हवा थम जाएगी
  कर नूतन रश्मि आलिंगन तू । कर...

  काँटों में राह बनाना सीख
  चट्टानों से टकराना सीख,
  है वक्त अभी तू जाग जरा
  कर आशा आँख में अंजन तू । कर..

झुंझलाहट पास न आये तेरे
तुझे व्याकुलता न कभी घेरे,
जिज्ञासा ज्योति जगे जिसमें 
कर नाटक ऐसा मंचन तू । कर...

   तेरी मेहनत जब रंग लाएगी
   संतोष सुगंध बिखराएगी ,
  तेरा बहता शोणित तुझसे कहे
   काया अपनी कर कंचन तू । कर...

   दरिया की तरह तू बहता चल
   बीहड़ में राह बनाता चल,
   भटका राही जो देखे तुझे
   कर उसका पथ प्रदर्शन  तू। कर...

   बन कर्मठ धीर सदा निश्छल
   तू गीत शहीदों के गाता चल ,
   जग में पहचान बना अपनी
   करके बस में अपना मन तू । कर...

   हो सदाचार श्रंगार तेरा
   हो मानवता संस्कार तेरा,
   बन शिष्ट सहज उदार प्रबल
   अपना करके अनुशासन तू।  कर...

   हो दृढ प्रतिज्ञ जागृत निडर
   नभ में उड़ने को तू दम भर,
   आस्था श्रधा से वेध लक्ष्य
   बना धरा को अपना आँगन तू । कर...

   तेरी हिम्मत तेरे साथ रहे
   विजय पताका तेरे हाथ रहे,
   दस्तक देता उपहार लिए
   कर नव प्रभात अभिनन्दन तू ।

   कर खुद अपना संचालन तू
   कर सुआचरण का पालन तू ।

( स्वरचित कविता संग्रह ' स्मृति लहर ' से किसान एकता मंच को आज आंदोलन के 27वें दिन सादर समर्पित । )

पूरन चन्द्र काण्डपाल
22.12.2020

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