Tuesday 22 December 2020

Kisaan aaymhatya kisaan diwas : किसान आत्महत्या किसान दिवस

खरी खरी -761 : क्यों आत्महत्या करते हैं किसान ? (आज किसान दिवस)

     हमारे लिए अन्न का निवाला पैदा करने वाला किसान अपनी फसल का सही मूल्य नहीं मिलने, फसल का समय पर क्रय नहीं होने और साहूकार का ऋण नहीं चुकाने से दुखित होकर या तो आत्महत्या कर रहा है या धीरे- धीरे खेती छोड़ रहा है । आत्महत्या अच्छी बात नहीं है फिर भी यह सिलसिला थम नहीं रहा ।  पांच राज्यों- महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में किसान आत्महत्या दर अधिक है ।

     उपज का न्यूनतम मूल्य नहीं मिलने, फसल का क्रय न होने और भंडारण सुविधा नहीं होने के कारण हर रोज लगभग ढाई हजार किसान खेती छोड़ने पर मजबूर हैं । विशेषज्ञों के अनुसार विगत कुछ वर्षों में लगभग 3.2 करोड़ गांव वाले जिसमें किसान अधिक हैं, गांव छोड़कर शहरों की ओर पलायन कर चुके हैं जिनमें अधिकांश ने अपनी जमीन और घर-बार भी बेच दिया है ।

    वर्तमान में देश के कई राज्यों में किसान की प्रतिमाह औसत आय पांच हजार रुपए से कम है । कुछ राज्यों में चार हजार रूपए से भी कम है ।  किसान की आमदनी तो दूर उसकी फसल की लागत भी नहीं मिलने से उसका जीवन यापन मुश्किल हो रहा है । केंद्र और राज्य सरकारों को इस गम्भीर समस्या के निवारण पर शीघ्र कदम उठाना चाहिए । यदि कहीं बम्पर फसल होती है तो उसके खरीदने का तुरंत उचित प्रबन्ध होना चाहिए अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब किसान निराश होकर खेती करने से सन्यास न ले ले ।

      मौजूदा किसान एकता मंच आंदोलन जिसको दबाने के लिए हरियाणा की खट्टर सरकार ने ऐसा व्यवहार किया जैसे कोई आक्रांता देश में घुस गए हों, का आज 23 दिसंबर किसान दिवस के अवसर पर 28वां दिन है । बुलन्द हौसले से सराबोर यह किसान आंदोलन गैर राजनैतिक है भलेही कई राजनैतिक दल इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं । केंद्र सरकार को किसानों की मांग को समझना चाहिए और उन्हें संतुष्ट करके कड़ाके की इस ठंड से बचाना चाहिए क्योंकि दो दर्जन से अधिक किसान ठंड से मौत के ग्रास बन गए बताए जाते हैं । किसानों के आंदोलन में अनगिनत बुजुर्ग किसान और महिलाएं भी हैं । किसान की उगाई हुई रोटी से गरीब, अमीर, जनता, नेता, पुलिस, जवान सहित पूरे देश का जीवन गतिमान है ।

      किसान के दर्द को समझने वाले वे भी इस देश के ही नेता थे जो 'जय जवान जय किसान ' का नारा दे गए और बड़ी सहानुभूति से किसानों की समस्या को सुनते थे । आज हम इस नारे को नहीं समझ पा रहे हैं । जितने दिन यह आंदोलन रहेगा उससे देश का नुकसान ही होगा जिसकी भरपाई नहीं हो सकेगी । कुछ तो बात है जो देश के सभी किसान उन तीन कृषि बिलों का विरोध कर रहे हैं जो उनसे बिना पूछे पारित कर दिए गए । अतः सरकार का रवैया नरम होना चाहिए जिससे गतिरोध शीघ्र दूर हो और सड़क पर उच्च मनोबल के साथ विगत 28 दिन से डेरा जमाए किसान अपने खेत - खलिहान की ओर कूच करें । इसे जीत और हार का मुद्दा नहीं बनाना चाहिए क्योंकि सवाल जनता का है, किसान का है और कुल मिलाकर पूरे देश का है । पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह (जन्म दिन 23 दिसंबर) को विनम्र श्रद्धांजलि के साथ किसान दिवस की सभी को बधाई और शुभकामना ।

(इन पंक्तियों के लेखक की कविता ' अन्नदाता कृषक ' जिसे कविता संग्रह ' स्मृति लहर ' से लिया गया है, देश में कक्षा 7 के विद्यार्थियों को पढ़ाई जाती है । किसान का जितना भी सम्मान किया जाए वह कम है क्योंकि अन्न के दाने से ही हमारा जीवन गतिमान है ।)

पूरन चन्द्र कांडपाल
23.12.2020

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