Saturday 21 November 2020

Yamuna ka santaap : यमुना का संताप

खरी खरी - 740 : यमुना का संताप

स्वच्छ हुई नहीं
गंदगी बढ़ती गई,
पर्त कूड़े की तट
मेरे चढ़ती गई,
बढ़ा प्रदूषण रंग
काला पड़ गया,
जल सड़ा तट-तल
भी मेरा सड़ गया ।

व्यथित यमुना रोवे
अपने हाल पर,
पुकारे जन को
मेरा श्रृंगार कर,
टेम्स हुई स्वच्छ
हटा कूड़ा धंसा,
काश ! कोई तरसे
देख मेरी दशा ।

आह ! टेम्स जैसा
मेरा भाग्य कहां ?
उठी स्वच्छता की
गूंज संसद में वहां,
क्या कभी मेरे लिए
भी यहां खिलेगी धूप ?
कब मिलेगा मुझे
मेरा उजला स्वरूप ?

( दिल्ली में  अब तक 5.17 लाख से अधिक लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं जिनमें से 8.1 हजार से अधिक इसके ग्रास बन चुके हैं । 10 नवम्बर 2020 के बाद से प्रतिदिन दिल्ली में एक सौ से अधिक रोगियों की इस संक्रमण से मौत हो रही है । मास्क लगाएं, देह दूरी रखें, भीड़ से बचें और मजबूरी के सिवाय न तो बाहर जाएं और न बेवजह किसी के घर जाएं । )

पूरन चन्द्र काण्डपाल
22.11.2020

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