Sunday 15 November 2020

Prakash parv par patakha dhundh : प्रकाश पर्व पर पटाखा धुंध

खरी खरी - 738 : प्रकाश पर्व पर पटाखा धुंध

     पौराणिक कथा के अनुसार जब श्री राम जी 14 वर्ष के वनवास के बाद भार्या और अनुज सहित अयोध्या वापस आये तो प्रजा ने घर -घर दीप प्रज्ज्वलित कर खुशियां मनाई । हमने इस प्रथा-परम्परा को आगे बढ़ाया जिसने आगे चल कर आतिशबाजी का रूप ले लिया। आज वह आतिशबाजी जी का जंजाल बन गयी जिसने सांस लेना ही दूभर कर दिया । उल्लेखनीय बात यह है कि पटाखे जलाने वाले और बेचने वाले दोनों ही गरीब नहीं होते बल्कि ये समाज के संभ्रांत वर्ग के लोग होते हैं जो कानून की भी परवाह नहीं करते अन्यथा राजधानी में 30 नवंबर 2020 तक पटाखों के बिक्री और आतिशबाजी पूर्ण रूप से प्रतिबंधित हा ।

     14 नवंबर 2020  दीपावली की रात को इस मानवजनित विभीषिका के कारण देश की राजधानी में  प्रदूषण खतरनाक हालात पत पहुंच गया । इस प्रदूषण के कारण लोग राजधानी बारूदी आबोहवा में घुटन के साथ जीने को मजबूर है । न्यायालय के प्रतिबंध की खुलेआम धज्जियां उड़ते हम सब ने बेबस होकर देखी । वायुप्रदूषण कई गुना तक बढ़ गया है ।

     यदि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पटाखे नहीं फूटते तो ऐसी स्तिथि नहीं होती । न सीने में जलन होती और न सांस लेने में घुटन होती । न बच्चों के नाजुक अंग कुम्हलाते और न वृद्धों की श्वसन क्रिया अवरुद्ध होती । देर रात तक उच्च शोर के पटाखे फोड़ने वालों ने अपने क्षणिक आनंद के लिए पूरे वातावरण को जहरीला बना दिया । कुछ लोगों ने तो इसे धर्म के साथ जोड़ दिया । नुकसान के सिवाय पटाखा फोड़ने से और कुछ नहीं मिलता । हमारी पुलिस और प्रशासन इस बारूदी आबोहवा को रोकने में निष्फल क्यों रहे यह प्रश्न दो दिन बाद भी भैयादूज के दिन तक हवा में गूंज रहा है । सभी को भैयादूज की शुभकामना ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल

16.11.2020

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