Saturday 7 November 2020

Kutta चरन्ति : कुत्ता चरन्ति

खरी खरी - 731 : मनुष्य रूपेण कुत्ता चरंती

     हम सबके परिचित चनरदा बोले, "यकीन करिये मैं दिनभर कई दो टांग वाले कुतों से रूबरू होता हूं । आप ठीक सोच रहे हैं कि कुत्ते की तो चार टांग होती हैं परन्तु ये दो टांग वाले कुत्ते कहां से आ गए ? ध्यान से देखिए ये दो टांग वाले कुत्ते सभी के इर्द-गिर्द हैं । कुत्ता तो एक घरेलू वफादार जानवर है । कहीं यह पालतू है तो कहीं आबारा । कुत्ता जब चाहे कहीं पर भी, सड़क के बीचोंबीच, रास्ते में, गली में, वाहन की आड़ में, घर के आगे, पार्क में, जहां उसका मन करे वहां मल-मूत्र छोड़ देता है । वह नहीं जानता कि उसकी इस हरकत से मानव परेशान होता है, दुखी होता है ।

     यदि यही हरकत यदि कोई मनुष्य करे तो उसे कुत्ता ही तो कहेंगे । इन दो टांग वाले कुत्तों में मूत्र विसर्जन के अलावा एक विशेष बात यह होती है कि वे किसी भी स्थान पर, सड़क, सीढ़ी, जीना, दफ्तर, नुक्कड़, कोना कहीं पर भी गुटखा- तम्बाकू थूक देते हैं । वह कार सहित किसी वाहन से भी थूक देते हैं । उनके इस गुटखा -मल से वह स्थान लाल हो जाता है । ऐसे कुत्तों की ब्रीड भगाने पर गुर्राने या काटने आती है जबकि अबारा कुत्ते चुपचाप भाग जाते हैं । यकीन नहीं होता तो ऐसे दो टांग वाले कुत्तों को एक बार चनरदा की तरह हड़काओ तो सही ।"

        सुना है कोरोना संक्रमण के दौर में  है देश की राजधानी में कुछ श्वान हरकत करने वालों और सड़क - शौचालय को लाल करने वालों के चालान भी काटे जा रहे हैं । यह इन्हें सुधारने का एक तरीका हो सकता है परन्तु  क्या समाज के लोग इन्हें टोकने के लिए कभी अपना मुंह खोलेंगे ? सरकारें तो गुटका पुड़ियों पर प्रतिबंध लगाने से रही ? प्रतिबंध की बात तो छोड़ो इन जहरीले पाउचों के प्रिंट मीडिया और टीवी चैनलों में बड़े बड़े विज्ञापन दिए जाते हैं । कथनी और करनी में हमारे देश में पग पग पर अंतर देखते रहो और मसमसाते हुए अपने पग  बढ़ा कर आगे निकलने के सिवाय अन्य कोई विकल्प की सोच तो उपजने से रही ?

पूरन चन्द्र काण्डपाल
08.11.2020

No comments:

Post a Comment