Saturday 7 November 2020

Kitne devta :कितने देवता ?

खरी खरी - 730 : कितने देवता ?

     देवता कितने हैं ? इस पर लोग बहस करते रहते हैं । देवता तो 33 कोटि हों या 33 करोड़ । ( बताए 33 कोटि अर्थात 33 प्रकार के हैं ।) पर बहस क्यों हो ? यह अनंत बहस है । कभी समाप्त नहीं होगी । हम एक ईश्वर की बात करें । जिसको जो देवता पूजना हो पूजे । ईश्वर/भगवान केवल एक है और वह निराकार है । उसमें विश्वास रखने से हमें ताकत मिलती है, शांति मिलती है और अंहकार दूर रहता है तथा दुःख को सहने की शक्ति मिलती है । यह श्रध्दा का सवाल है । यही आदि औऱ यही अंत । इस पर इससे ज्यादा वार्ता करना व्यर्थ है ।

        हम वर्तमान में जी रहे हैं और पौराणिक युग की चर्चाओं को ही समय देकर उनमें उलझ रहे हैं । यह बहस क्यों नहीं होती कि देश के बच्चे कुपोषित क्यों हैं ? हमारे देश में शिक्षक कम हैं, चिकित्सक कम हैं, अस्पताल कम हैं, सुदूर क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं नहीं है जिससे पलायन हो रहा है । इन सभी विषयों पर बहस क्यों नहीं होती ? शिक्षा, रोजगार, पानी, सड़क, बिजली, स्वास्थ्य पर बहस क्यों नहीं होती ? पराली जलाने जैसे एक छोटे मुद्दे का हल हम नहीं निकाल पाए । इस पर चर्चा नहीं होती । यह बहस क्यों नहीं हो कि देश अंधविश्वास के घेरे से बाहर कैसे आये ? बहस तो कितने दीए जलाएं, इस पर भी होनी चाहिए और पटाखों के निषेध पर भी होनी चाहिए । यह वार्ता क्यों नहीं होती कि नदियों में विसर्जन सहित सभी प्रकार की गंदगी मत डालो । इस वैज्ञानिक युग में उस धरती की बात नहीं हो रही जो हमारे शोषण से त्रस्त है और जलवायु का अचानक परिवर्तन हो रहा है ।  पर्यावरण को बचाने की बहस भी बहुत जरूरी है । प्रत्येक त्यौहार पर एक पौधा रोपने की भी बहस होनी चाहिए । अतः समाज को स्वयं चेतना/सोचना होगा कि हम अपने को किस बहस में उलझाएं ? मास्क की शरण में जाओ और अपने को संक्रमण से बचाओ क्योंकि देह दूरी का पालन तो वे भी नहीं कर रहे हैं जो इस पर भाषण दे रहे हैं ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
07.11.2020

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