Saturday 14 November 2020

Naheen lagi pataakhon par nakel :नहीं लगी पटाखों पर नकेल

खरी खरी - 736 : नहीं लगी  पटाखों पर नकेल

     बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने और पर्यावरण को बचाने के लिए देश के सर्वोच्च न्यायालय ने दिवाली और अन्य अवसरों पर आतिशबाजी के लिए दिशा-निर्देश पहले ही दिए हैं जिनके पालन करवाने की जिम्मेदारी क्षेत्रीय थाना प्रभारी की होती है । इन निर्देशों की अवहेलना पर थाना प्रभारी न्यायालय की अवमानना के दोषी माने जाते हैं । इस बार बढ़ते प्रदूषण और कोरोना संक्रमण के कारण दिल्ली में आतिशबाजी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा प्रतिबंधित थी । फिर भी चोरी से बेचे गए पटाखों की आवाज खूब सुनने में आईं । रात 12 बजे के बाद भी पटाखों का शोर सुनाई दिया जबकि 30 नवम्बर 2020 तक सभी प्रकार के पटाखों पर दिल्ली में प्रतिबंध गए ।

     प्रतिबंध के बावजूद भी ये पटाखे लोगों तक कैसे पहुंचे ? हमारे देश में कानून की अवहेलना सरे आम होती है और कानून के रक्षक अनदेखी - अनसुनी कर देते हैं । दिल्ली में पुलिस स्थानीय सरकार के अधीन नहीं है । यहां पुलिस केंद्र सरकार के नियंत्रण में है । इसके बावजूद भी प्रदूषित दिल्ली में पटाखों से प्रदूषण बढ़ा । कई स्थानों पर वायु प्रदूषण का स्तर 1000 तक पहुंच गया । राजधानी में कोरोना का कहर जारी रहा । पिछले 24 घंटे में 90 से अधिक लोग इस रोग के ग्रास हुए जबकि सात हजार से अधिक नए केस अस्पतालों तक पहुंचे । बाज़ार में देह दूरी दूर तक नजर नहीं आई । अनियंत्रित भीड़ भूल गई कि वे कोरोना संक्रमण को बढ़ा रहे हैं । जब लोग सहयोग न करें तो सरकारें भी अपने वोटो की टकसाल की सुरक्षा में लग जाती हैं । 11 नवम्बर की रात दिल्ली में बिहार जीत का जश्न हुआ । वहां भी वही भीड़ थी जिसने किसी की नहीं सुनी । छोटे - बड़े नेता सभी वहां मौजूद थे । बिहार चुनाव में भी भीड़ संबंधी सभी नियम - कानून दरकिनार कर दिए गए । इन सब हालातों से स्पष्ट होता है कि हमारे देश में लोग कानून कि परवाह नहीं करते और कानून की पालना करने वाले कभी बेबस तो कभी सिथिल नजर आते हैं ।

     समाज को जनहित और अपने बच्चों के हित में पटाखे नहीं जलाने चाहिए । प्रथा -परम्परा में भी सिर्फ दीप जलाकर रोशनी के साथ दीपावली मनाई जाती थी । पटाखों का प्रचलन वर्तमान में होने लगा जिससे स्वास्थ्य को खतरा पैदा हो गया । हमें पटाखे खरीदने, भेंट करने और जलाने से बचना चाहिए । यह हमारा प्रदूषण घटाने और पर्यावरण बचाने में अपनी भावी पीढ़ी के लिए बहुत बड़ा योगदान होगा । वैसे भी जब श्रीराम घर वापस आए थे तब पटाखे नहीं केवल दीप प्रज्ज्वलित किए गए थे । बाजारवाद ने इसमें पटाखे जोड़ दिए जो आज स्वास्थ्य समस्या, प्रदूषण और बीमारी के स्रोत बन गए हैं ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
15.11.2020

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