Thursday 12 November 2020

Pradooshan mukti ke shakth kadam :प्रदूषण मुक्ति के सख्त कदम

बिरखांत - 343 : प्रदूषण मुक्ति के सख्त कदम 

    यदि महानगरों में प्रदूषण घटाना है तो सख्त कदम तो उठाने ही पड़ेंगे । अपने स्वास्थ्य के खातिर हमने कोई बदलाव स्वीकार नहीं किया । वर्त्तमान दिल्ली सरकार ने दो बार सम- विषम (ऑड -ईवन ) का  प्रयोग कर भी लिया है परंतु नियमित नहीं हो सका जो अब नियमित करना ही होगा । अपनी सुख-सुविधा के खातिर हम बच्चों के नाजुक फेफड़ों की तरफ नहीं देख रहे । अब पुनः आड - इवन की बात पर चर्चा हो और इसका क्रियान्वयन हो ।

     राजधानी के पड़ोसी राज्य धान की पराली जला रहे हैं । जन - जागृति उन पर बेअसर रही । सरकार रात - दिन जोर - शोर से कह रही है कि हम टेक्नोलोजी में बहुत आगे हैं परन्तु हम वह तकनीक नहीं खोज सके हैं जिससे पराली का कुछ सदुपयोग हो और किसान को पराली जलानी नहीं पड़े । हमारे देश में मानव जनित प्रदूषण अधिक है । दीवाली के पटाखे, धान की पराली और कंस्ट्रक्शन की धूल तथा कूड़े का जलना । इनसे सख्ती से नहीं निपटा जाता । भ्रष्टाचार की वजह से देश में बैन के बाद भी दीपावली पर अवैध पटाखे हर साल देर रात तक जलते हैं जिनकी आवाज कानून के रखवालों को नहीं सुनाई देती । छिटपुट पटाखे तो जल रहे हैं ।

     देश में सड़कों पर कारों  की संख्या बहुत है जिसे घटाया नहीं जा सकता बल्कि यह संख्या दिनोदिन बढ़ती रहेगी।  वर्षों से यह अपील जारी  है कि  लोग कार -पूलिंग करें अर्थात एक ही गंतव्य स्थान तक जाने के लिए दो-चार व्यक्ति बारी-बारी से एक ही कार का उपयोग करें जिससे चार कारों की जगह सड़क पर एक ही कार चलेगी। पेट्रोल भी बचेगा और सड़क पर वाहन भीड़ भी कम होगी।  इस अपील पर बिलकुल भी अमल नहीं हुआ। कार मालिक सार्वजानिक वाहन (बस ) की कमी और समय अनिश्चितता के कारण उसका उपयोग करना  पसंद नहीं करते। वर्तमान कोरोना दौर में कार पूलिंग भले ही आसान न हो परन्तु सामान्य हालात में इसकी नितांत आवश्यकता है ।

          सरकार यदि देश के सभी महानगरों के लिए यह क़ानून बना दे कि सम और विषम संख्या की कारें बारी-बारी से सप्ताह में तीन-तीन दिन के लिए ही सड़क पर चलें अर्थात जिन कारों के अंत में 1, 3, 5 ,7 ,9  (विषम संख्या ) हो वें विषम तारीख को चलें और जिनके अंत में 2, 4, 6, 8, 0 (सम संख्या ) हो वे सम तारीख को चलें तथा रविवार को सभी वाहन चलें तो इससे सड़कों पर वाहन संख्या घट कर आधी रह जायेगी, तेल का आयात घटेगा, प्रदूषण कम होगा और प्रदूषण जनित बीमारियां कम हो जाएंगी क्योंकि बच्चों के फेफड़ों पर इस प्रदूषण का बहुत बड़ा कुप्रभाव पड़ रहा है । 

पूरन चन्द्र काण्डपाल

13.11.2020

No comments:

Post a Comment