खरी खरी - 571 : साबरमती के दर्शन
मैं ध्यान से देख रहा था
वो दूर सात समुद्र पार से आए
वो मेरे साबरमती आश्रम आए
लाव लस्कर समेत आए
मेरे चित्र पर माला रोपी
मेरे चरखे के पास बैठे
कपास पकड़ सूत काता
मेरे बारे में पूछताछ भी की होगी
मेरे तीनों बंदरों को देखा
इधर उधर नजर घुमा कर देखा
मेज पर रखी आगंतुक पुस्तिका देखी
पन्ना खोला कलम खोली
मेरे बारे में तो कुछ लिखा नहीं
शायद वो मुझे भूल गए होंगे
मुझे लगा उन्हें कुछ तनाव था
उनके दिल-दिमाग में चुनाव था ।
- साबरमती का गांधी
पूरन चन्द्र कांडपाल
26.02.2020
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