खरी खरी - 474 : स्वच्छता की बात
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने तो कहा ही, प्रथम प्रधानमंत्री से लेकर 14वें प्रधानमंत्री तक सभी ने स्वच्छता की बात अपने अपने ढंग से कही । परन्तु हम सुनते ही कहां हैं ? हम से सड़क या गली - मुहल्ले से कूड़ा उठाने के लिए कोई नहीं कह रहा । सिर्फ इतना कहा जा रहा है कि जहां - तहां कूड़ा मत डालो । यदि हम सड़क - गली - मुहल्ले में कूड़ा डालेंगे ही नहीं तो स्वच्छता तो स्वतः ही रहेगी ।
वर्तमान प्रधानमंत्री जी ने 2014 से इस स्वच्छता के बारे में अब तक छै बार लालक़िले की प्राचीर से कह दिया है, झाड़ू लगा कर भी दिखा दिया है, स्वच्छता अभियान को भी समझा दिया है परन्तु जमीनी तस्वीर कुछ जगहों को छोड़कर नहीं बदली । प्रातः सैर के समय सड़क पर कूड़े के ढेर मिलते हैं । गली - मुहल्ले का भी वही हाल है । हम नहीं बदले । दिल्ली मैट्रो में अब्बल स्वच्छता है । मैट्रो से उतरते ही लोग गुटके के पाउच फैंकना शुरू कर देते हैं । मैट्रो में सख्त कानून है क्योंकि वह एक कॉर्पोरेशन है जिसके अपने नियम हैं ।
हमारे पास हर गली - मुहल्ले - सड़क हेतु हमें सुधारने के लिए पुलिस या गार्ड भी नहीं है । हमें जनजागृति की अधिक जरूरत है और गंदगी या कूड़ा डालने वालों के लिए कुछ दंडात्मक क्रिया भी होनी चाहिए । इस लेख के अंत में कूड़े के ढेर के तीन - चार दिन पहले लिए गए चित्र रोहिणी में यमुना नहर के ऊपर के है । यह दृश्य देखकर दुख होता है । उस स्थान की हालत आज भी वैसी ही है क्योंकि कूड़ा निरन्तर वहां फेंका जाता है । क्या हम सुधरेंगे ?
पूरन चन्द्र कांडपाल
17.08.2019
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