Friday 9 August 2019

Samay anupalan : समय अनुपालन

खरी खरी - 471 आयोजनों में समय अनुपालन की दरकार

        बड़ी विनम्रता से कहना चाहूंगा कि उत्तराखंड की अधिकतर संस्थाएं, अपवाद को छोड़कर, अपने किसी भी आयोजन को विलंब के साथ ही आरंभ करती हैं । इस बात को कई बार आयोजक भी विनम्र भाव में इंगित करते हैं, "कार्यक्रम निर्धारित समय से आरम्भ नहीं कर सके, क्षमा चाहते हैं ।" मेरा निवेदन है कि यदि हम एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन या अपने कार्यस्थल पर समय से पहुंचते हैं तो हमें किसी भी संस्था के कार्यक्रम में भी समय से पहुंचना चाहिए । आयोजकों को कार्ड में वही समय लिखना चाहिए जब वे कार्यक्रम शुरू कर सकें । 5 या 10 मिनट की देरी स्वीकार हो सकती है । यदि कार्यक्रम 6 बजे सायं आरम्भ होना है तो कार्ड में 4.30 या 5.00 या 5.30 नहीं लिखना चाहिए । यह कोई शादी का निमंत्रण नहीं है । शादी में यह सब चलता है क्योंकि बरात देर से पहुंचती है । कार्यक्रमों के दौरान हमने  सभागार में दर्शकों को कहते सुना है, "हम तो आयोजन में निर्धारित समय पर पहुंच गए थे, हमें कार्यक्रम का बहुत देर तक  इंतजार करना पड़ा ।"  जब कार्यक्रम देरी से आरम्भ होते हैं तो फिर देरी से ही समाप्त भी होते हैं और कुछ लोग कार्यक्रम छोड़ कर चले भी जाते हैं । ऐसे में कार्यक्रम ठीक से हो भी नहीं पाते क्योंकि समायाभाव के कारण आयोजकों पर दबाव बन जाता है । कलाकार, आयोजक, मंच संचालक सब उस तरह नहीं चल सकते जिसका उन्होंने अभ्यास किया होता है । कुछ कलाकारों के तो अपने आइटम दिखाने का समय ही नहीं मिलता जिसे उन्होंने बड़ी लगन से तैयार किया होता है ।

      कृपया इस बात पर हम सब मंथन करें और इसे अन्यथा न लें । हमें अपने सभी कार्यक्रमों को सुव्यवस्थित बनाने के लिए समय का अनुपालन तो करना ही होगा । कुछ वर्ष पहले मैंने गढ़वाल भवन में इस विषय "समय अनुपालन का सरोकार " पर एक विचारगोष्ठी भी आयोजित की थी जिसे सभी मित्रों का आशीर्वाद भी मिला था ।  निष्पक्षता से सोचिए कि हिंदी अकादमी या मंडी हाउस के रंगमंचों में कार्यक्रम कैसे ठीक दिए हुए समय पर शुरू हो जाते हैं ? वे लोग भी हमारे जैसे हैं । जिन लोगों को मेरी बात अखरे कृपया क्षमा करें । शुभकामनाओं सहित । " मसमसै बेर के नि हुन , बेझिझक गिच (मुंह) खोलणी चैनी , अटकि रौ बाट में जो दव, हिम्मत ल उकैं फोड़णी चैनी ।" नक झन मानिया । ( मसमसाने के बजाय मुंह खोलना चाहिए, समस्या तो हिम्मत करने से ही दूर होगी । बुरा न मानें ।)

पूरन चन्द्र काण्डपाल
10.08.2019

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