Saturday 17 August 2019

Jansankhya visfot : जनसंख्या विस्फोट

मीठी मीठी -335 : रोकिए जनसंख्या विस्फोट

       आज हमारे देश की जनसंख्या लगभग 130 करोड़ है जो 2011 में 121 करोड़ थी । देश में वर्ष 1962 में एक नारा था 'बस दो या तीन बच्चे, होते हैं घर में अच्छे ।' जनसंख्या नियंत्रण नहीं हुआ और आगे चलकर नारा आया 'हम दो हमारे दो ।' आजकल बिना कोई नारे के नई पीढ़ी बस एक बच्चे के बाद विराम लगाने लगी हैं । मुझे लगता है कि एक बच्चे वाला विचार कई मायने में ठीक नहीं है । सबसे पहले इससे कुछ वर्षों बाद जनसँख्या संतुलन बिगड़ जाएगा । दूसरी बात यह है कि परिवार - समाज से कई रिश्ते लुप्त हो जाएंगे जैसे - भाई, भाबी, चाचा, चाची, मौसी - मौसा, देवर, जेठ, देवरानी, जेठानी, साली, साला आदि । मित्र, सहेली, यार, दोस्त की जगह या अहमियत अलग है । रिश्ते अपनी जगह बहुत महत्वपूर्ण हैं जिनकी जगह भरी नहीं जा सकती ।

       एकल संतान के माता-पिता को इस मुद्दे पर जरूर सोचना चाहिए । घर में दो बच्चे होने चाहिए भलेही दोनों बेटी हों या बेटे । अकेला एक बच्चा समाजिकता के अभाव से भी ग्रसित हो जाता है । स्कूल में भलेही उसे साथी मिलते हों परन्तु घर में तो वह इकलौता है । यह डरने की बात नहीं है कि आप दूसरे बच्चे को सुख - सुविधाएं नहीं दे पाएंगे । हां पुत्र की भूख (सन सिंड्रोम ) के खातिर परिवार नहीं बढ़ना चाहिए जैसा कि अभी भी कहीं - कहीं देखने को मिलता । परिवार में दो बच्चे अर्थात 'हम दो हमारे दो' को चरितार्थ रखना चाहिए ।

      देश की जनसंख्या निरन्तर बढ़ रही है । जितना भी विकास होता है वह बढ़ती जनसंख्या के नीचे दब जाता है । यदि इसी तरह बढ़ते गई तो एक दिन जनसंख्या विस्फोट हो सकता है । अब राष्ट्रीय जनसंख्या नीति बनाने का समय आ गया है  जिसमें ' हम दो हमारे दो ' के कानून को सबके लिए सख्ती से लागू किया जाए । हमें पुत्र या पुत्री जो भी हो जाए उसे स्वीकार करना होगा और ' पुत्र सिंड्रोम ' बीमारी से दूर रहना होगा । तभी छोटे परिवार की परिकल्पना साकार हो सकती है और देश की बढ़ती हुई जनसंख्या पर अंकुश लग सकता है ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
18.08.2019

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