Tuesday 27 August 2019

Mobile prem rog : मोबाइल प्रेम रोग

खरी खरी - 482 : मोबाइल का प्रेम रोग

      आजकल आप कहीं भी नज़र डालिए - घर, बाहर, मैट्रो, रेल , बस, पार्क, कोई भी समारोह, राह में चलते हुए या सैर करते हुए, आपको अधिकतर लोग मोबाइल फोन से चिपके हुए मिलेंगे या कान में लीड डाल कर दुनिया से कटकर घूमते हुए मिलेंगे या मोबाइल की ओर देखकर अपने आप हंसते हुए मिलेंगे । बताया जाता है कि देश के अधिकतर शहरी युवक - युवतियों के पास स्मार्ट फोन है । कुछ लोग तो फोन में लाइक या चैटिंग या गीत - संगीत देखने - सुनने में इतने दीवाने हो गए हैं कि उन्हें समय पर खाने या सोने का भी होश नहीं है । कई बार तो लोग सड़क पर चलते हुए एक दूसरे से या किसी वाहन से टकरा जाते हैं । बच्चों या परमेश्वरी से बात करने का समय नहीं है । घर में चार वयस्क हैं चारों अपने अपने फोन में तल्लीन हैं, कोई किसी से बात नहीं कर रहा । तल्लीनता सेंड या फारवर्ड में है या वीडियो देखने में है या बहस - चैटिंग में हम खोए हुए हैं ।

         इसे हम फोन तल्लीनता नहीं कहेंगे बल्कि यह एक लत है या एक रोग की गिरफ्त है । कुछ साल पहले जब मोबाइल नहीं था तो ऐसी हालत नहीं थी बल्कि व्यक्ति समाज या परिवार से मिलता था । जुड़ा तो वह अब भी है परन्तु उन मित्रों से जुड़ा है जो हवा में हैं । गुलदस्ता, चाय कप, मॉडल, मूर्ति, भगवान के चित्र, कार्टून, पेड़, पहाड़, दृश्य, पोर्न, अश्लील चुटकुले आदि फारवर्ड करना सबसे बड़ा या प्राथमिक कार्य मोबाइल में हम करने लगे हैं । हम क्या कर रहे हैं हमें नहीं मालूम ? फोन का सदुपयोग भी है जो बहुत कम होता है जबकि फोन है ही सदुपयोग के लिए या जानकारी बढ़ाने के लिए । जब दो घंटे लगातार फोन के प्रयोग से निजात मिले तो स्वयं से इस मोबाइल फोन में बिताए गए समय का हिसाब तो मांगना चाहिए ।

       जो लोग इस वास्तविकता को समझते हैं कि वे फोन रोग या लत से ग्रस्त हो चुके हैं उन्हें फोन के नोटिफिकेशन बंद करने चाहिए । किसी को कोई खास बात करनी होगी तो आपको फोन तो आ ही सकता है । रात्रि में या दिन में कुछ घंटे फोन का स्वीच आफ करें । फोन का एक अनुशासन बनाएं और उस पर अटल रहें । लगातार फोन का प्रयोग हमारे रोग प्रतिरोधक तंत्र ( Immune system )  को कमजोर कर देता है जो बहुत खतरनाक बात है । अपने रोग देने वाले फोन को हमने स्वयं अपना शत्रु बना दिया है । क्या इसी शत्रुता के लिए या स्वयं को रोगी बनाने के लिए हमने स्मार्ट फोन खरीदा था ?

पूरन चन्द्र कांडपाल
28.08.2019

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