Monday 26 August 2019

Alag thakuli ni bajau : अलग थकुली नि बजे

खरी खरी - 481 : अलग थकुली नि बजौ 


 

देशा का मिलि गीत कौ

अलग थकुली नि बजौ .

 

एकै उल्लू भौत छी

पुर बगिच उजाड़ू हूँ

सब डवां में उल्लू भै गयीं

बगिचौ भल्याम कसी हूँ.

गिच खोलो भ्यार औ

भितेर नि मसमसौ, देशा क ....

 

समाओ य देशें कें

हिमाल धात लगूंरौ

बचौ य बगीचे कें

जहर यमे बगैँ रौ 

उंण नि द्यो य गाड़ कें

बाँध एक ठाड़ करौ, देशा क ..... 

 

उठो आ्ब नि सेतो

यूं उल्लू तुमुकें चै रईं

इनू कें दूर खदेड़ो

जो म्या्र डवां  में भै  रईं

यकलै यूं नि भाजवा

दग डै जौ दौड़ी बे जौ . देशा क .....

 

शहीदों कें याद करो 

घूसखोरों देखि नि डरो  

कामचोरों हूँ काम करौ

हक़ आपण मागि बे रौ

अंधविश्वास क गव घोटो

अघिल औ पिछाड़ी नि रौ. 

देशा क मिलि गीत कौ

अलग थकुली नि बजौ.

 

पूरन चन्द्र कांडपाल

27.08.2019

(मुकस्यार  कुमाउनी कविता संग्रह 2011 बै )

 

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