Thursday 22 August 2019

Missing spark syndrome : मिसिंग स्पार्क सिंड्रोम

खरी खरी - 477 : मिसिंग स्पार्क सिंड्रोम

       21 अगस्त 2019 को मैंने " मिसिंग टाइल सिंड्रोम " की चर्चा की थीं । आज पति - पत्नी संबंधित एक नए विषय को छूने का प्रयास है । जब किसी भी उम्र में पति - पत्नी के संबंध में सिथिलता या उदासीनता आने लगती है या एक दूसरे की परवाह या सम्मान कम होने लगता है, आपसी हंसी - मजाक कम होने लगती है, ' आइ लव यू '  कहना तो दूर,  नाश्ता - लंच - डिनर भी अकेले होने लगता है, छोटी छोटी बातों में एक दूसरे की तीक्ष्ण आलोचना होने लगती है, झूठ बोलने के बेवजह आरोप लगने लगते हैं, सोने का समय भी अलग अलग होने लगता है, एक दूसरे के साथ बिताया जाने वाला वक्त भी मोबाइल में बीतने लगता है, यहां तक कि रात्रि शयन भी अलग अलग कमरे में होने लगता है, तो समझिए दाम्पत्य जीवन को ' मिसिंग स्पार्क ' नाम की बीमारी ने घेर लिया है ।  ये सभी उक्त लक्षण ' मिसिंग स्पार्क ' बीमारी के हैं जिसे " मिसिंग स्पार्क सिंड्रोम " भी कहते हैं । ऐसे में जीवन में निराशा या सदमा या डिप्रेशन भी दस्तक से सकता है ।

       इस बीमारी का इलाज किसी डाक्टर या वैद्य या तांत्रिक या ज्योतिषि  या किसी जगरिये - डंगरिये के पास नहीं है बल्कि इस रोग का उपचार स्वयं पति - पत्नी के पास है । रोग के जो भी ऊपर लक्षण बताए आप उनको अपने रिलेशन या संबंध में न आने दें । इस संबंध में इगो ( अकड़ ) रूपी जंग नहीं लगने दें । यदि यह जंग लग गया तो छूटेगा नहीं । कुछ छोटी छोटी बातें हैं यदि अमल करी जाएं तो हम ' मिसिंग स्पार्क सिंड्रोम ' से बच सकते हैं । भले ही इसमें दोनों का रोल है परन्तु मैं पति परमेश्वरों को कुछ सलाह देना चाहूंगा । आप जमी हुई बर्फ को पिघलाने में पहल करें क्योंकि दिन में तीन बार आपको उनके द्वारा भोजन परोसा जा रहा है । अपने मस्तिष्क के रिमोट को कूल में लाइए और किचन में जाने का शुभ अवसर ढूंढिए । हिम्मत के साथ उनके कंधे में हाथ रखते हुए प्यार से पूछिए, " क्या बन रहा जी या क्या हो रहा है जी ..." फिर अपने हिसाब से दृश्य को आगे बढ़ाते जाइए । बताने की जरूरत नहीं है । पहल तो बेचारे पति परमेश्वर को ही करनी पड़ेगी । आपकी पहल से निनानाबे फीसदी बर्फ पिघल जाएगी ।

      मेरे एक मित्र ने मेरी राय पर ऐसा ही किया । पत्नी गुस्से में थी ।  वह अवसर को भाप नहीं पाया । जैसे ही उसने किचन में जाकर पत्नी के कंधे में हाथ रखा, पत्नी ने उसे धक्का मारते हुए कहा "छोड़ो उथां जौ, मिकैं नि चैन ह पोताड़ - पातड़ " ( हटो उधर जाओ, मुझे नहीं चाहिए यह झूठा दिखावा ) । मित्र ने पुनः प्रयास किया और उसे सफलता मिली । एक - दूसरे की बात सुनकर, मोबाइल से दूरी रखकर और गृहकार्य में हाथ बंटाते कर हम स्पार्क को मिस होने से बचा सकते हैं । स्पार्क को यहां चिंगारी या करंट न समझें इसे एक छिपी हुई मिठास समझें ।  घर - गृहस्थी तो ऐसे ही चलती है और चलते आ रही है । जहां बर्फ नहीं पिघलती, जहां  छिपी हुई मिठास लुप्त होने लगती है वहां जीवन बहुत दुखद है, कूल की जगह शूल है । इसलिए जितनी जल्दी हो सके बर्फ पिघलाने में ही समझदारी है । अब अधिक सोचने के बजाय किचन की ओर बढ़ने में ही परमानंद है । बढ़िये ...

पूरन चन्द्र कांडपाल

23.08.2019

No comments:

Post a Comment