खरी खरी - 970 : ये बाजार में नहीं मिलेंगे !
तुम्हारी कुंठा अहंकार ने
दूर रखा तुम्हें सदाचार से,
पैसे से यदि मिल जाएं तो
ये चीजें ले आना बाजार से ।
खुशी नींद भूख स्वास्थ्य
संतोष सुमति ले आना,
कुछ दुआ आशीर्वाद देशप्रेम
कुछ संस्कार संस्कृति ले आना ।
मित्रता दोस्ती स्नेह सभ्यता
रिश्तेदार घर परिवार पड़ोस ले आना,
थोड़ा ज्ञान थोड़ी मुस्कान
थोड़ा शिष्टाचार भी ले आना ।
खूब दौड़ -भाग कर लो
तुम ढूंढते रह जाओगे,
परंतु ये सभी वस्तुएं
किसी बाजार में न पाओगे ।
कोई कितना ही मोल देदे
ये बाजार में नहीं मिलते,
मानव संवेदना स्रोत इनका
ये किसी दुकान में नहीं बिकते ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
01.12.2021
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