Monday 15 November 2021

kayarta tyaag : कायरता त्याग

खरी खरी -  961 : कायरता त्याग

राह में घायल कोई

मैं उठाता हूं नहीं,

मुजरिम मुझे ही समझ कर

वे जेल न कर दें कहीं ?

खोह असली मुजरिम की

उन्हें दीखती है नहीं,

पकड़ लेते मेमनों को

भेड़िये मिलते नहीं ।

मूंद लेता आंख अपनी

आबरू कोई लुट रही,

कान बहरे हो गए हैं

सिसकियां नहीं सुन रही ।

त्याग डर को, संत की

उस बात को तू याद कर,

मृत्यु से सौ बार पहले

कायर जन जाता है मर ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल

16.11.2021

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