Saturday 6 November 2021

pradooshan mukti : प्रदूषण मुक्ति

बिरखांत - 411 : प्रदूषण मुक्ति के सख्त कदम जरूरी

    यदि महानगरों में प्रदूषण घटाना है तो सख्त कदम तो उठाने ही पड़ेंगे । अपने स्वास्थ्य के खातिर हमने कोई बदलाव स्वीकार नहीं किया । वर्त्तमान दिल्ली सरकार ने दो बार सम- विषम (ऑड -ईवन ) का  प्रयोग कर भी लिया था परंतु नियमित नहीं हो सका जो अब नियमित करना ही होगा । अपनी सुख-सुविधा के खातिर हम बच्चों के नाजुक फेफड़ों की तरफ नहीं देख रहे । अब पुनः आड - इवन की बात पर चर्चा हो और इसका क्रियान्वयन हो ।

     राजधानी के पड़ोसी राज्य धान की पराली जला रहे हैं । जन - जागृति उन पर बेअसर रही । सरकार रात - दिन जोर - शोर से कह रही है कि हम टेक्नोलोजी में बहुत आगे हैं परन्तु हम वह तकनीक नहीं खोज सके हैं जिससे पराली का कुछ सदुपयोग हो और किसान को पराली जलानी नहीं पड़े और उसके पास पराली के निपटान का कोई दूसरा विकल्प हो।  हमारे देश में मानव जनित प्रदूषण अधिक है । दीवाली के पटाखे, धान की पराली और कंस्ट्रक्शन की धूल तथा कूड़े का जलना । इनसे सख्ती से नहीं निपटा जाता । भ्रष्टाचार की वजह से देश में बैन के बाद भी दीपावली पर अवैध पटाखे हर साल देर रात तक जलते हैं जिनकी आवाज कानून के रखवालों को नहीं सुनाई देती । इस साल भी 4 नवम्बर 2021 मुख्य दीपावली की रात खूब पटाखे जले और 5 नवम्बर 2021 की सुबह धुंध की चादर से पूरा पर्यावरण ढक गया। लोगों को सांस लेने में कठिनाई होने लगी। वरिष्ठ नागरिक, बीमार और बच्चे बहुत परेशान हुए। पटाखे जलाने वालों को अपने घर के वरिष्ठ, बीमार और बच्चे भी नजर नहीं आए।  इस विषय पर गंभीरता से सोचना चाहिए।

     देश में सड़कों पर कारों  की संख्या बहुत है जिसे घटाया नहीं जा सकता बल्कि यह संख्या दिनोदिन बढ़ती रहेगी।  वर्षों से यह अपील जारी  है कि  लोग कार -पूलिंग करें अर्थात एक ही गंतव्य स्थान तक जाने के लिए दो-चार व्यक्ति बारी-बारी से एक ही कार का उपयोग करें जिससे चार कारों की जगह सड़क पर एक ही कार चलेगी। पेट्रोल भी बचेगा और सड़क पर वाहन भीड़ भी कम होगी।  इस अपील पर बिलकुल भी अमल नहीं हुआ। कार मालिक सार्वजानिक वाहन (बस ) की कमी और समय अनिश्चितता के कारण उसका उपयोग करना  पसंद नहीं करते। वर्तमान कोरोना दौर में कार पूलिंग भले ही आसान न हो परन्तु सामान्य हालात में इसकी नितांत आवश्यकता है ।

          सरकार यदि देश के सभी महानगरों के लिए यह क़ानून बना दे कि सम और विषम संख्या की कारें बारी-बारी से सप्ताह में तीन-तीन दिन के लिए ही सड़क पर चलें अर्थात जिन कारों के अंत में 1, 3, 5 ,7 ,9  (विषम संख्या ) हो वें विषम तारीख को चलें और जिनके अंत में 2, 4, 6, 8, 0 (सम संख्या ) हो वे सम तारीख को चलें तथा रविवार को सभी वाहन चलें तो इससे सड़कों पर वाहन संख्या घट कर आधी रह जायेगी, तेल का आयात घटेगा, प्रदूषण कम होगा और प्रदूषण जनित बीमारियां कम हो जाएंगी क्योंकि बच्चों के फेफड़ों पर इस प्रदूषण का बहुत बड़ा कुप्रभाव पड़ रहा है ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
07.11.2021

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