Thursday 4 November 2021

Patakhon par rok : पटाखों पर रोक

खरी खरी - 954 : नहीं लगी  पटाखों पर नकेल


     बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने और पर्यावरण को बचाने के लिए देश के सर्वोच्च न्यायालय ने दिवाली और अन्य अवसरों पर आतिशबाजी के लिए दिशा-निर्देश पहले ही दिए हैं जिनके पालन करवाने की जिम्मेदारी क्षेत्रीय थाना प्रभारी की होती है । इन निर्देशों की अवहेलना पर थाना प्रभारी न्यायालय की अवमानना के दोषी माने जाते हैं । इस बार बढ़ते प्रदूषण और कोरोना संक्रमण के कारण दिल्ली में आतिशबाजी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा प्रतिबंधित थी । फिर भी चोरी से बेचे गए पटाखों की आवाज खूब सुनने में आईं । रात 12 बजे के बाद भी पटाखों का शोर सुनाई दिया जबकि सभी प्रकार के पटाखों पर दिल्ली में प्रतिबंध था। धुंध की चादर यहां पर्यावरण में रात से ही नजर आने लगी जो सुबह होने तक अधिक घनी हो गई। 

     प्रतिबंध के बावजूद भी ये पटाखे लोगों तक कैसे पहुंचे ? हमारे देश में कानून की अवहेलना सरे आम होती है और कानून के रक्षक अनदेखी - अनसुनी कर देते हैं । दिल्ली में पुलिस स्थानीय सरकार के अधीन नहीं है । यहां पुलिस केंद्र सरकार के नियंत्रण में है । इसके बावजूद भी प्रदूषित दिल्ली में पटाखों से प्रदूषण बढ़ा । कई स्थानों पर वायु प्रदूषण का स्तर बहुत बड़ गया । राजधानी में कोरोना अभी समाप्त नहीं हुआ है।  पिछले 24 घंटे में 34 से अधिक लोग इस रोग के ग्रास हुए हैं । बाज़ार में देह दूरी दूर तक नजर नहीं आई । अनियंत्रित भीड़ भूल गई कि वे कोरोना संक्रमण को बढ़ा रहे हैं । जब लोग सहयोग न करें तो सरकारें भी अपने वोटो की टकसाल की सुरक्षा में लग जाती हैं । हमारे देश में लोग कानून कि परवाह नहीं करते और कानून की पालना करने वाले कभी बेबस तो कभी सिथिल नजर आते हैं ।

     समाज को जनहित और अपने बच्चों के हित में पटाखे नहीं जलाने चाहिए । प्रथा -परम्परा में भी सिर्फ दीप जलाकर रोशनी के साथ दीपावली मनाई जाती थी । दीपावली रोशनी का त्यौहार है।  पटाखों का प्रचलन वर्तमान में होने लगा जिससे स्वास्थ्य को खतरा पैदा हो गया । हमें पटाखे खरीदने, भेंट करने और जलाने से बचना चाहिए । यह हमारा प्रदूषण घटाने और पर्यावरण बचाने में अपनी भावी पीढ़ी के लिए बहुत बड़ा योगदान होगा । वैसे भी जब श्रीराम घर वापस आए थे तब पटाखे नहीं केवल दीप प्रज्ज्वलित किए गए थे । बाजारवाद ने इसमें पटाखे जोड़ दिए जो आज स्वास्थ्य समस्या, प्रदूषण और बीमारी के स्रोत बन गए हैं ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
05.11.2021

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