Thursday 5 December 2019

Pradooshan mukti ke shakht kadam : प्रदूषण मुक्ति के सख्त कदम

बिरखांत -294 : प्रदूषण मुक्ति के सख्त कदम 

    यदि  कस्बों/शहरों /महानगरों में प्रदूषण घटाना है तो सख्त कदम तो उठाने ही पड़ेंगे । अपने स्वास्थ्य के खातिर हमने कोई बदलाव स्वीकार नहीं किया । वर्त्तमान दिल्ली सरकार ने दो बार सम- विषम (ऑड -ईवन ) का  प्रयोग कर भी लिया है परंतु नियमित नहीं हो सका जो अब नियमित करना ही होगा । अपनी सुख-सुविधा के खातिर हम बच्चों के नाजुक फेफड़ों की तरफ नहीं देख रहे ।

     देश में सड़कों पर कारों की संख्या बहुत है जिसे घटाया नहीं जा सकता बल्कि यह संख्या दिनोदिन बढ़ती रहेगी।  वर्षों से यह अपील जारी  है कि  लोग कार -पूलिंग करें अर्थात एक ही गंतव्य स्थान तक जाने के लिए दो-चार व्यक्ति बारी-बारी से एक ही कार का उपयोग करें जिससे चार कारों की जगह सड़क पर एक ही कार चलेगी। पेट्रोल भी बचेगा और सड़क पर वाहन भीड़ भी कम होगी।  इस अपील पर बिलकुल भी अमल नहीं हुआ। कार मालिक सार्वजानिक वाहन (बस ) की कमी और समय अनिश्चितता के कारण उसका उपयोग करना  पसंद नहीं करते। 

          सरकार यदि देश के सभी महानगरों के लिए यह क़ानून बना दे कि सम और विषम संख्या की कारें बारी-बारी से सप्ताह में तीन-तीन दिन के लिए ही सड़क पर चलें अर्थात जिन कारों के अंत में 1, 3, 5 ,7 ,9  (विषम संख्या ) हो वें विषम तारीख को चलें और जिनके अंत में 2, 4, 6, 8, 0 (सम संख्या ) हो वे सम तारीख को चलें तथा रविवार को सभी वाहन चलें तो इससे सड़कों पर वाहन संख्या घट कर आधी रह जायेगी, तेल का आयात घटेगा, प्रदूषण कम होगा और प्रदूषण जनित बीमारियां कम हो जाएंगी क्योंकि बच्चों के फेफड़ों पर इस प्रदूषण का बहुत बड़ा कुप्रभाव पड़ रहा है ।

       प्रदूषण बढ़ने के कई अन्य कारण भी हैं जिन पर गंभीरता से मंथन होना चाहिए । सड़कों के किनारे धूल, मिट्टी और रेत बहुतायत मात्रा में गिरी रहती है जो वाहनों के चलते उड़ती है । सड़कें साफ होनी चाहिए । निर्माण कार्य एक निरन्तर प्रक्रिया है जिससे धूल उठती है । लोग धूल रोकने के उपाय नहीं करते । ईट, टाइल और पत्थर काटते समय बहुत धूल उड़ती है जहां पर पानी का प्रयोग होना चाहिए । देश में सड़क किनारे असंख्य तंदूर जलाए जाते हैं, कूड़ा जलाया जाता है इनसे भी धुंवां उठता है । तंदूरों पर चिमनी हो और कूड़ा जलाने पर सख्त प्रतबंध हो । फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुंए का भी समाधान हो । पराली जलाने पर सख्त कानून की जरवत है । देश में कानून तो हैं परन्तु उनका पालन नहीं होता । दीपावली सहित सभी त्यौहारों  और शादियों में पटाखे जलाने पर प्रतिबंध हो । यदि प्रशासन चाहे तो प्रदूषण से छुटकारा मिल सकता है परन्तु वोट के खातिर कानून को किनारे कर दिया जाता है । यदि इस विषय पर गंभीरता से नहीं सोचा गया तो भावी पीढ़ी प्रदूषण जनित रोगों का शिकार हो जाएगी तब हम स्वयं को कोसते रहेंगे जिससे कोई लाभ नहीं होगा । जब जागो तब सवेरा । हमें प्रदूषण नियंत्रण में हर प्रकार से सहयोग करना चाहिए जिसमें वृक्षारोपण भी एक कदम है ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल


06.12.2019


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