Wednesday 4 December 2019

Gharwai kain lai khawau :घरवाइ कैं लै ख़वाै

मीठी मीठी -391 : घरवाइ कैं लै खवाै

म्यार पड़ोस क चनरदा
घरवाइ-भक्ति पैलिकै बै करैं रईं,
ऑफिस बै आते ही
रसोई में घुसी जां रईं ।

पिसी लै वलि दिनी
भान लै खकोइ दिनी,
घरवाइ दगै ठाड़ है बेर
साग लै खिरोइ दिनी ।

एक दिन उं रसोइ में
भौत व्यस्त है रौछी,
मी भ्यार बै ठाड़ है
बेर उनुकैं चै रौछी ।

मील कौ हो क्यलै आज
मालिक्याण कां जैरीं,
जो तुमार हूं एकलै
फान फुताड़ लैरीं।

अरे यार वीकि मुनाव
पीड़ हैरै, अलै आंख लैरीं,
नान रवाट खणा लिजी
टकटकै बेर चैरीं ।

मील कौ यार नना हूं
किलै आपूं हैं लै पकौ,
द्वि रवाट तुम लै खौ
और बीमार कैं लै खवौ ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
05.12.2019

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