Tuesday 10 December 2019

Par updesh : पर उपदेश

खरी खरी - 532 : पर उपदेश

     अक्सर हम दूसरों को उपदेश देते हैं कि गलत काम न करें परन्तु स्वयं करते रहते हैं । मैंने कई कवियों को शराब, धूम्रपान और गुटके के विरोध में मंच से कविता पढ़ते देखा और मंच छोड़ते ही उन्हें शराब या सिगरेट या गुटका सेवन करते देखा । ये लोग द्वय चरित्र के होते हैं जो उचित नहीं है । दुनिया इन्हें देखती है परन्तु चुप रहती है । कुछ लोग हवन - यज्ञ या कर्मकांड करते समय भी मुंह में गुटका भरे हुए रहते हैं जिसकी निंदा की जानी चाहिए । यजमान ऐसे लोगों को टोकने के बजाय अनदेखी कर देते हैं  जो गलत है । डंगरिये शराब या भंगड़ी पीकर दुलैंच में बैठ अपनी आरती करवाते हैं और सौकार आंख बंद कर आरती करते हैं ।

       इसी तरह एक भारतीय अभीनेत्री ने दिवाली पर पटाखे नहीं चलाने की अपील की थी लेकिन उनकी शादी में जमकर आतिशबाजी हुई जिसकी खूब आलोचना भी हुई । इसी तरह एक समाचार के अनुसार पेटा (PeTA) नामक संस्था ने एक विवाह में हाथी-घोड़ों के साथ बारात निकालने की निंदा की थी क्योंकि उस दौरान पशुओं को नियंत्रण करने के लिए यातना दी जाती है ।

      हमारे देश में कानूनों की जमकर अवहेलना प्रतिदिन होती है परन्तु जब सेलिब्रेटी काननू की अवहेलना करते हैं तो एक गलत संदेश समाज में जाता है । उपदेश देना बहुत आसान होता है । हम जो भी उपदेश समाज को दें उस पर पहले खुद अमल करें । समाज को सेलिब्रेटी से देश के हित में कुछ सार्थक करने की उम्मीद होती है ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
11.12.2019

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