Friday 6 December 2019

Bina dahej vivah : बिना दहेज विवाह

मीठी मीठी - 393 : बिना दहेज और दहेज की बारातें

     बारातों के मौसम में दो बारातों की चर्चा सुनिये । कुछ महीने पहले एक समाचार के अनुसार बिहार के पटना में एक शादी बड़ी सादगी के साथ सम्पन्न हुई । इस शादी में कई अतिथियों ने अपना अंग दान किया और कइयों ने बिना दहेज के विवाह का संकल्प पत्र भरा । बिना दहेज, बिना बैंड बाजे, बिना नाच-गाने, बिना डीजे- डिस्को और बिना भोज की इस शादी को कई गणमान्य लोगों ने देखा । यहाँ केवल चाय की व्यवस्था थी और चार-चार लड्डू प्रसाद स्वरूप प्रत्येक आगन्तुक को दिये गए । दहेज रहित इस शादी में कोई भी गिफ्ट स्वीकार नहीं किया गया जिसकी सूचना आगन्तुकों को पहले से दी गई थी ।

     एक अन्य समाचार के अनुसार इसी दिन एक बारात मुरादाबाद उ.प्र. से कोटा, राजस्थान पहुंची । दूल्हा और दुल्हन दोनों ही उच्च शिक्षा प्राप्त थे । शादी के एक दिन पहले यहां सगाई हुई जिसमें दुल्हन के पिता ने पैंतीस लाख ₹ के सोने के जेवर और इक्कीस लाख ₹ नकद दिए । शादी के दिन दहेज लोभी दूल्हे का लालच बढ़ गया और उसने एक करोड़ ₹ की मांग कर दी । साथ ही  प्रत्येक बाराती को एक -एक सोने का सिक्का देने का हुकम भी चला दिया । जब दुल्हन को इस बात का पता चला तो उसने दहेज के भूखे दूल्हे रूपी इस भेड़िये से शादी करने से इनकार कर दिया । सबसे बड़ी बात तो यह है कि दुल्हन के पिता ने इस दुःखद घटना की चर्चा मंच पर जा कर तब की जब सभी मेहमान खाना खा चुके थे । इसके बाद बारात बिना दुल्हन के लौट गई ।

     ये दोनों घटनाएं बिना किसी विश्लेषण के हम से बहुत कुछ कहतीं हैं । एक तरफ एक दूल्हे ने दहेज तो छोड़ो, भोज तक नहीं लिया और दूसरी तरफ एक दूल्हे रूपी भेड़िये ने लालच की सभी सीमाओं को पार कर दिया ।  एक दूल्हा शुभकामनाओं सहित अपनी दुल्हन के साथ विदा हुआ और दूसरा  दूल्हा रूपी भेड़िया बिन दुल्हन के अपने मुंह में थूका कर बेशरमी से गर्दन झुकाए लौट गया ।

      हमें इन दोनों घटनाओं की चर्चा अपने परिजनों और सहकर्मियों से अवश्य करनी चाहिए । यदि हम ऐसा कर सके तो हमने समाज में व्याप्त दहेज प्रथा के उन्मूलन में अप्रत्यक्ष रूप से बहुत बड़ा योगदान दिया समझा जाएगा । स्वेच्छा से नए जोड़े को सामर्थ्यानुसार कुछ उपहार दिए जा सकते हैं परन्तु दहेज की मांग कभी भी स्वीकार नहीं होनी चाहिए ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
07.12. 2019

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