Wednesday 25 December 2019

Gantuon ke tukke : गंतुओ के तुक्के।

बिरखांत – 298 : गणतुवों (पुछारियों) के तुक्के

   अंधविश्वास की जंजीरों में बंधा हमारा समाज गणतुवों या पुछारियों के झांसे में बहुत जल्दी आ जाता है | लोग अपनी समस्या समाधान के लिए गणतुवों के पास आते हैं या भेजे जाते हैं | कभी- कभार उनका तुक्का लग जाता है तो उनके श्रेय का डंका पिटवाया जाता है | तुक्का नहीं लगने पर भाग्य- भगवान्- किसमत –नसीब -करमगति कह कर वे पल्ला झाड़ देते हैं |

     कुछ महीने पहले दिल्ली महानगर में ऐसी ही एक घटना घटी | मेरे एक परिचित का उपचाराधीन मानसिक तनाव ग्रस्त युवा पुत्र अचानक दिन में घर से बिन बताये चला गया | इधर -उधर ढूंढने के बावजूद जब वह देर रात तक घर नहीं आया तो थाने में उसकी रिपोट लिखाई गई | इस तरह परिवार का पहला दिन रोते-बिलखते बीत गया | दूसरे दिन प्रात: किसी मित्र के कहने पर पीड़ित माता- पिता गणत करने वाली एक महिला (पुछारिन) के पास गये | पुछारिन बोली, “आज शाम से पहले तुम्हारा बेटा  घर आ जाएगा | वह सही रास्ते पर है, सही दिशा पर चल रहा है | तुम बिलकुल भी चिंता मत करो |”

     उसी रात थाने से खबर आती है कि आपके बताये हुलिये के अनुसार एक लाश अमुक अस्पताल के शवगृह (मोरचुरी) में है  | परिजन वहां गए तो मृतक वही था जो घर से गया था | चश्मदीदों ने बताया कि यह व्यक्ति उसी दिन (अर्थात गणत करने के पहले दिन ) रात के करीब साड़े नौ बजे दुर्घटनाग्रस्त होकर बेहोशी हालत में पुलिस द्वारा अस्पताल लाया गया | उसकी मृत्यु लगभग तभी हो गयी थी | दस-ग्यारह घंटे पहले मर चुके व्यक्ति को पुछारिन ने बताया कि ‘वह सही दिशा में चल कर घर की ओर आ रहा है’ |

       उलझाने के इस धंधे के लोग किस तरह समाज को बरगलाते हैं, यह एक उदाहरण है | यदि पुछारिन के पास कुछ भी ज्ञान होता तो वह कह सकती थी ‘वह व्यक्ति घोर संकट में है या परेशान है, अड़चन में फंसा है |’ पोस्टमार्टम और अंत्येष्टि के बाद पुछारिन को जब यह दुखद समाचार भिजवाया गया तो उसने ‘भाग्य -भगवान्- किसमत- नसीब- करम -परारब्ध- ब्रह्मलेख’ आदि शब्दों को दोहरा दिया | यदि वह व्यक्ति जीवित आ जाता तो यह पुछारिन महिमामंडित हो जाती जबकि उससे आज ‘तूने तो ऐसा बताया था’ कहने वाला कोई नहीं है | 

     सच तो यह है कि दोषी हम हैं जो इस प्रकार के तंत्रों के जाल में फंसते हैं और कभी सही तुक्का लगने पर इनकी वाह-वाही का डंका पीटते हैं, इनको महिमा मंडित करते हैं | कब जागेगा तू इंसान ? किसी भी प्रकार के अंधविश्वास को महिमामंडित नहीं करने से हम समाज में सुधार ला सकते हैं | चर्चा तो होनी चाहिए ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
26.12.2019

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