Friday 4 October 2019

Swaroop Dhaundiyal : ढौंडियाल स्मरण

मीठी मीठी - 360 : स्वरूप ढौंडियाल स्मरण (85 वीं जयंती )

     कल 4 अक्टूबर 2019 को गांधी शांति प्रतिष्ठान नई दिल्ली में ' अलकनंदा ' परिवार द्वारा प्रख्यात लेखक, पत्रकार और ' अलकनंदा ' पत्रिका के संस्थापक संपादक  दिवंगत स्वरूप ढौंडियाल जी की 85वीं जयंती का आयोजन किया गया । इस अवसर पर कई  वरिष्ठ लेखकों ने अपने विचार प्रकट किए जिनमें मुख्य थे सर्वश्री राजेन्द्र सिंह पूर्व महानिदेशक कोस्टल गार्ड, डा. गंगा प्रसाद विमल, पंकज बिष्ट, डा. हरिसुमन बिष्ट, मंगलेश डबराल, अवतार सिंह रावत अधिवक्ता और महेश चंद्रा जी । सभी वक्ताओं ने अपने अपने तरीके से ढौंडियाल जी का स्मरण कर उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को याद किया ।  इस अवसर पर सभागार में कई साहित्यकार, पत्रकार और राजनीति से जुड़े व्यक्ति मौजूद थे । अलकनंदा पत्रिका के नए अंक और वल्लभ डोभाल जी की पुस्तक ' सैनिक संवाद ' का लोकार्पण भी इस अवसर पर किया गया । कार्यक्रम संचालन पत्रकार सुषमा जुगरान ने किया तथा ' अलकनंदा ' पत्रिका के संपादक विनोद ढौंडियाल ने आगंतुकों का आभार व्यक्त किया ।

        इस बात को भी हमें समझना होगा कि ढौंडियाल जी ने उत्तराखंड के जनसरोकारों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली और तन - मन - धन से लेखन से जुड़ गए । यदि आज स्वरूप ढौंडियाल जी जीवित होते तो वे अवश्य पूछते कि उत्तराखंड से पलायन क्यों हो रहा है ?, गांव वीरान क्यों हो रहे हैं ?, राज्य की राजधानी गैरसैंण क्यों नहीं बनी ?, राज्य आंदोलन के 42 शहीदों को न्याय क्यों नहीं मिला ?,  उत्तराखंड में शराब के गधेरे क्यों बह रहे हैं ? क्या जो भी शौचालय बने उनमें पानी का प्रबंध है या वे स्टोर बन गए हैं?, उत्तरकाशी में सिर्फ लड़के ही क्यों पैदा हो रहे हैं?, और राज्य में प्रतिदिन कोई न कोई वाहन दुर्घटना क्यों होती है ? स्वरूप ढौंडियाल की बुलंद आवाज तब सुनी जाती थी और आज उनकी जैसी प्रखर आवाज नहीं उठती क्योंकि कलमों की धार कुंद कर दी जाती है , बोलने का दम सिथिल हो गया है, चाटुकार पुरस्कृत हो रहे हैं और पत्रकारिता तथा मीडिया की निष्पक्षता को वक्त की दीमक ने खोखला कर दिया है ।

पूरन चन्द्र कांडपाल
05.10.2019

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