मीठी मीठी - 366 : घरवाइक औडर
घरवाइक औडर अच्यालै नि लागन, पैलिकै बटि लागते ऊँरौ । देखो ठुलिज ठुलबाज्यू हूँ के कूंरै -
ओ म्यर खसमा
त्ये भल सीप,
भान माजि हालीं
चुल लै लीप,
पन्यार जैबेर
पाणी लै डबोइ ल्या,
बाल्टी में घागरि छ
उ लै छपोइ ल्या ।
अच्याला लौंड -मौडूँल ठुलबाज्यूक कदमों पर चलण चैंछ तबै बलालि तुमरि नखरू किसाण नजीक ऐ बेर । नतर चाइए रौला ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
12.10.2019
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