मीठी मीठी - 362 : 30 घंटे की रामलीला का मंचन 3 घंटे में
दस दिन की रामलीला को मात्र एक दिन में मंचित करना आसान तो नहीं परन्तु यह प्रयास कर दिखाया उत्तराखंड के गीत - संगीत - नाट्य निदेशक शिवदत्त पंत जी ने । कल 6 अक्टूबर 2019 की संध्या को प्यारेलाल भवन आई टी ओ नई दिल्ली में रुद्रवीणा संस्था दिल्ली द्वारा 10 दिनों में मंचित होने वाली रामलीला को मात्र 3 घंटे में मंचित किया गया । इस आयोजन में मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी एवम् सांसद अजय भट थे । दर्शकों से भरे हुए सभागार में मैंने समाजसेवी सुधीर पंत, पत्रकार चारु तिवारी, खिमदा, कला निर्देशक गंगादत्त भट्ट और हेम पंत जी के साथ रामलीला का मंचन देखा ।
निश्चित समय से कुछ विलंब के साथ रामलीला का शुभारंभ 'श्रीरामचन्द्र कृपालु भजमन ' प्रार्थना के साथ हुआ। इसके बाद नट- नटी संवाद, रावण का भगवान शिव से वर मांगना, राजा दशरथ का पुत्रेष्ठी यज्ञ, राम जन्म, विश्वामित्र का राम - लक्ष्मण को राजा दशरथ से मांगना, तड़का बध, धनुष यज्ञ, सीता स्वयंवर, परशुराम - लक्ष्मण संवाद, मंथरा - केकई संवाद, कैकेई - दशरथ संवाद, राम - सीता और लक्ष्मण का वन गमन , सीता हरण, सबरी मिलन, अंगद - रावण संवाद और राम - रावण युद्ध, राजतिलक आदि कई दृश्य मंचित किए गए । स्वाभाविक है जिन दर्शकों ने 10 दिन की रामलीला देखी है उन्हें बहुत कुछ देखने को नहीं भी मिला होगा। परन्तु हम जानते हैं कि पूरी रामलीला को 3 घंटे में समेटना बहुत कठिन काम है । फिर भी उत्तराखंड के लोगों को इन 3 घंटों में पर्वतीय रामलीला का लुभावना धरातलीय ऐहसास तो शिवदत्त पंत जी ने करा ही दिया ।
पात्रों पर दृष्टि डालें तो सभी पात्रों का अभिनय उत्कृष्ट था । नट - नटी, शिवजी, दशरथ, कैकेई , मंथरा, जनक, राम, सीता, लक्ष्मण, परशुराम, रावण, वशिष्ठ , विश्वामित्र, सुमंत, ताड़का, सूपनखा, मृग, दरवान सहित सभी पात्रों ने अपने अभिनय से दर्शकों को बांधे रखा। पार्श्व गायन में स्वयं शिवदत्त पंत जी, पुत्री दीपा पंत और अन्य गायकों ने अच्छी प्रस्तुति दी । संगीत की मधुर धुन का निर्देशन विरेन्द्र राही जी ने किया। वस्त्र एवम् रूपसज्जा दोनों उत्कृष्ट एवम् आकर्षक थे । दृश्य, प्रकाश, मंच सज्जा एवम् स्पेशल इफेक्ट्स भी उत्तम थे । कुल मिलाकर रुद्रवीणा की टीम का यह कला प्रदर्शन बहुत रोचक और शैलीवद्ध था । शिवदत्त पंत जी और उनकी सम्पूर्ण टीम को इस सफल आयोजन के लिए बधाई और शुभकामना ।
पूरन चन्द्र कांडपाल
07.10.2019
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