खरी खरी - 500 : जंतर-मंतर पर 2 अक्टूबर
कल 2 अक्टूबर 2019 को संसद की चौखट नई दिल्ली जंतर-मंतर पर कई आंदोलन कर्ताओं को देखा । जंतर-मंतर राष्ट्रीय धरना स्थल के रूप में विख्यात है जहां देश के कोने कोने से लोग आंदोलन के माध्यम से सोती हुई सरकारों को जगाने और अपनी मांग को मनवाने के लिए आते हैं । कल भी यह स्थान कई आन्दोलनकारियों से खचाखच भरा था ।
विगत वर्षों की तरह उत्तराखंड के लोगों द्वारा कल भी जंतर- मंतर पर काला दिवस मनाया गया । काला दिवस मनाने का मुख्य कारण था 2 अक्टूबर 1994 के मुजफ्फरनगर कांड के नरपिशाचों को 25 साल बाद भी सजा नहीं दिया जाना । इस अवसर पर राजधानी गैरसैण नहीं बनाने, दोषियों को सजा नहीं दिये जाने, उत्तराखंड के प्रस्तावित 4 रेल मार्गों के निर्माण में शिथिलता बरतने और उत्तराखंड की भाषाओं के प्रति उदासीनता रखने सहित कई मुद्दों पर वक्ताओं ने अपने विचार प्रकट किए । सरकार को एक ज्ञापन भी भेंट किया गया ।
इस आयोजन के मुखिया 'प्यारा उत्तराखंड' समाचार पत्र के संपादक देव सिंह रावत 'देवदा' थे । इस अवसर पर कई संस्थाओं के प्रतिनिधियों बड़े दुख के साथ कहा कि उत्तराखंड के शहीदों और अपमानित नारी सकती को आजतक भी न्याय नहीं मिला । कई लोगों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए केंद्र और राज्य सरकार के प्रति भारी रोष प्रकट किया गया । 1994 राज्य आंदोलन में हुए 42 शहीदों के लिए श्र्द्धांजलि स्वरूप हवन भी किया गया और शहीद परिवारों एवं उस कांड में पीड़ित मातृशक्ति के प्रति सम्मान भी प्रकट किया गया । इस अवसर पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी को भी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की गई ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
03.10.2019
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