Thursday 24 October 2019

patakhon par nakel :पटाखों पर नकेल

खरी खरी - 511 : पटाखों पर नकेल

     बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने और पर्यावरण को बचाने के लिए देश के सर्वोच्च न्यायालय ने दिवाली और अन्य अवसरों पर आतिशबाजी के लिए दिशा-निर्देश पहले ही दिए हैं जिनके पालन करवाने की जिम्मेदारी क्षेत्रीय थाना प्रभारी की होगी । इन निर्देशों की अवहेलना पर थाना प्रभारी न्यायालय की अवमानना के दोषी माने जाएंगे ।

        सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार  दीपावली को रात 8 से 10 बजे तक और क्रिसमस -नया साल को रात 11.55 से 12.30 तक ही कम प्रदूषण और कम शोर वाले पटाखे ही जलाए जाएंगे । लाइसेंस धारक दुकानदार ही पटाखे बेच सकेंगे । पटाखों की ऑनलाइन बिक्री नहीं होगी । पटाखों की बिक्री से जुड़े निर्देश सभी त्योहारों और शादियों पर भी लागू होंगे । NCR क्षेत्र में सामुदायिक आतिशबाजी की जगह निर्धारित होनी चाहिए । लिथियम, आर्सेनिक, एंटीमनी (अंजन, सुरमा), सीसा और पारा युक्त पटाखे पूरी तरह प्रतिबंधित रहेंगे ।

     बम -पटाखों की आवाज पहले से निर्धारित 12 सितम्बर 2017 के आदेश के अनुसार होगी । न्यायालय ने पटाखों से पर्यावरण को भारी खतरा बताया । देशभर में कम प्रदूषण उत्पन्न करने वाले हरित पटाखे बनाने की अनुमति दे दी गई है । ये सभी आदेश पटाखों पर प्रतिबंध लगाने संबंधी एक याचिका के निस्तारण पर दिए गए ।

     समाज को जनहित और अपने बच्चों के हित में पटाखे नहीं जलाने चाहिए । प्रथा-परम्परा में भी सिर्फ दीप जलाकर रोशनी के साथ दीपावली मनाई जाती थी । पटाखों का प्रचलन वर्तमान में होने लगा जिससे स्वास्थ्य को खतरा पैदा हो गया । हमें पटाखे खरीदने, भेंट करने और जलाने से बचना चाहिए । यह हमारा प्रदूषण घटाने और पर्यावरण बचाने में अपनी भावी पीढ़ी के लिए बहुत बड़ा योगदान होगा । वैसे भी जब श्रीराम घर वापस आए थे तब पटाखे नहीं केवल दीप प्रज्ज्वलित किए गए थे । बाजारवाद ने इसमें पटाखे जोड़ दिए जो आज स्वास्थ्य समस्या, प्रदूषण और बीमारी के स्रोत बन गए हैं ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
25.10.2019

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