Monday 16 September 2019

Rana ji ka janmdin : राणा जी का जन्मदिन

मीठी मीठी - 350:  हीरा सिंह राणा ज्यूक जनमदिन : लोक संस्कृति सम्मान दिवस 

     16 सितम्बर 2019 हैं सुप्रसिद्ध लोकगायक, गीतकार और कवि हीरा सिंह राणा ज्यू 77 वर्षक है गईं । उनार जन्मदिन लोक संस्कृति सम्मान दिवस क रूप में  बेई पश्चिमी विनोद नगर, दिल्ली  में उनार गीत प्रेमियों ल मिलिजुली बेर मना । य मौक पर  सर्वश्री खीम सिंह रावत, के एस उजराडी, एम सी पपनै,  पूरन चन्द्र कांडपाल, दीवान सिंह नयाल , लखचौरा जी (हिंदी अकादमी ), निगम पार्षद गीता रावत और आर के जोशी मुख्य वक्ता छीं । उपस्थित लोगों में मुख्य छी सर्वश्री विरेन्द्र जुयाल, राजेन्द्र पांडे, दान सिंह रावत, राजेन्द्र चौहान, आर के जोशी, जे पी जुयाल, जयपाल सिंह रावत, संतोष जोशी, संजय चौहान, राजेन्द्र गोस्वामी, उदय ममगाईं राठी, सुश्री कौशल पांडेय, मधु बेरिया साह, सुनयना बिष्ट और श्रीमती विमला राणा ।  समारोह में मुख्य आयोजक श्री दीवान सिंह नयाल और हरदा उत्तरांचली ज्यू कि टीम छी जनू ल केक काटि बेर जन्म दिन मना ।

      समारोह में राणा ज्यू ल  आपण गीतों क साथ लोगों क धन्यवाद करौ  । राणा ज्यू पिछाड़ि 60 वर्ष बटि हमरि मातृभाषा कुमाउनी कि सेवा में एक संत-फकीर कि चार निःस्वार्थ लागि रईं । उनर रचना संसार भौत ठुल छ । उनूल नौ रसों में देशप्रेम, श्रृंगार, प्रेरणादायी, विरह, भक्ति, उत्तराखंड और संदेशात्मक भौत गीत- कविता लेखीं । उनुहैं हम आपणि संस्कृति और भाषाक धरोहर लै कै सकनूं । कार्यक्रम संचालन नीरज बवाड़ी ज्यू ल करौ और आगंतुकों क धन्यवाद नयाल ज्यू ल करौ । ग्रेट मिशन स्कूल क नना ल सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करौ ।

        राणा ज्यू आज जनमानस में छाई हुई एक महान विभूति छीं । उनर अमुक गीत भल छ अमुक गीत भौत भल छ , यैक विश्लेषण करण आसान न्हैति । उनु दगै कवि सम्मेलन में म्यर लै कएक ता दगड़ हौछ । ऊँ एक सरल, सहज, शांत और एक फ़कीर प्रवृति क मनखी छीं । राणा ज्यू कैं देखते ही जो गीत-कविता म्यार कानों में गूंजण फै जानीं ऊँ छीं - 'अहा रे जमाना, त्यर पहाड़ म्यर पहाड़, लस्का कमर बादा, म्येरि मानिलै डानि, अणकसी छै तू, आजकल है रै ज्वाना, आ लिली बाकरी लिली...,

      आंखरों कि माव बनै बेर गीत- कविता क रूप में हमार बीच में धरणी य सुरों क सम्राट कैं भौत भौत शुभकामना । उम्मीद छ राणा ज्यू अघिल हैं लै आपण रचनाओंल हमर साहित्य, संस्कृति और कला कैं सिंचित करते रौल । 2 फ़रवरी 2016 बटी लगातार चार ता मील आपण आंखरों में उम्मीद जतै रैछ कि उनुकैं पद्म सम्मान दिई जाण चैंछ । 

पूरन चन्द्र काण्डपाल

17.09.2019

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