Saturday 28 September 2019

Achchha insaan banana pahali jaroorat : इंसान बनना पहली जरूरत

बिरखांत - 283 : अच्छा इंसान बनना पहली जरूरत

      आज जो लोग समाज के सौहार्द को बिगाड़ते हैं वे कबीर, रहीम, बिहारी, रसखान आदि कालजयी कवियों को नहीं जानते हैं या जानकार भी अनजान बने रहते हैं | इन महामनीषियों ने मनुष्य को इंसान बनाने के लिए, समाज को अंधविश्वास से बाहर निकालने के लिए तथा सामाजिक सौहार्द को बनाये रखने के लिए अथाह प्रयत्न किये | हमारे पुरखों ने स्वतंत्रता संग्राम भी मिलकर लड़ा | महत्वाकांक्षा के अंकुरों ने सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ दिया और इस अंकुर को हमें गुलाम बनाने वाला जाते- जाते मजबूती देकर देश को खंडित कर गया | इस खंडन से मजबह की दीवार को मजबूती मिली और कुछ असामाजिक तत्वों ने नफरत की नर्सरी में अविश्वास के पौधे उगाकर यत्र- तत्र रोपना शुरू कर दिया | उसका जो परिणाम हुआ उसकी चर्चा करने की आवश्कयता नहीं है क्योंकि सबकुछ हम आये दिन देख रहे हैं |

     हमारे समाज में सौहार्द को सींचने वाले भी मौजूद हैं | विगत वर्ष कानपुर में गंगा नदी के बैराज पर नौ युवक घूमने गए | एक युवक सेल्फी लेते हुए फिसल कर गंगा नदी में गिर गया और डूबने लगा | उसे बचाने एक के बाद एक सभी दोस्त नदी में कूद पड़े परन्तु डूबने लगे | डूबते हुए युवकों का शोर सुन पास ही में रेत पर बैठा हुआ एक युवक उन्हें बचाने नदी में कूद गया | इसी बीच कुछ नाविकों ने तीन युवक बचा लिए परन्तु वह युवक भी मदद करते हुए नदी में समा गया | बाद में गोताखोरों ने सात शव बहार निकाले | अपनी जान गंवा चुका रेत पर बैठा युवक इन नौ युवकों को नहीं जानता था फिर भी वह इन्हें बचाने के लिए नदी में कूद पड़ा और उन युवकों को बचाते हुए डूब गया | बाद में पता चला कि उसका नाम मक़सूद अहमद था जो एमएससी में अध्ययनरत छात्र था |

     जब मक़सूद अहमद गंगा में नौ युवकों को बचने कूदा होगा उस क्षण उसके मन में हिन्दू- मुसलमान की बात नहीं रही होगी | वह एक मुस्लिम युवक था जिसे उन नौ युवकों के बारे में कुछ भी पता नहीं था | वक्त की मांग पर वह इंसानियत के नाते नौ इंसानों को बचाने के लिए नदी में कूदा  और स्वयं भी जल में समा गया | बात-बात में हिन्दू- मुस्लिम कहने वालों को यह बात समझनी चाहिए कि हम सबसे पहले इंसान हैं, बाद में कुछ और | मक़सूद के साथ अन्य छै का डूब जाना बहुत दुखदायी है | बाद में पता चला कि सभी छै मृतक युवा हिन्दू सम्प्रदाय के थे | एक सेल्फी ने सात अमूल्य जान ले ली | लोगों को चौकन्ना होकर सेल्फी लेनी चाहिए |

     इसी तरह 18 नवम्बर 1997 को सुबह सवा सात बजे स्कूली बच्चों को ले जारही एक बस यमुना नदी पर बने वजीराबाद पुल की रेलिंग तोड़कर यमुना नदी में गिर गई | इस बस में 113 बच्चे और 2 अध्यापक थे | इस दुर्घटना में 28 बच्चे डूब कर मर गये और 67 बच्चों को अस्पताल में भर्ती किया गया | इन बच्चों को जगतपुरी दिल्ली निवासी गोताखोर अब्दुल सत्तार खान ने पानी से बहार निकाला | सत्तार ने लगातार 5 घंटे तक ठंडे पानी में डुबकी लगाई और 50 बच्चे बचाए तथा मृत बच्चों के शव बहार निकाले | इतने परिश्रम और 50 बच्चों का जीवन बचाने के बाद सत्तार ने कहा, “अल्लाह ने हुनर दिया तभी बच्चे बचाए | मुझे 28 बच्चों को नहीं बचा पाने  का बहुत मलाल है |” सत्तार मुसलमान था परन्तु वह जीवित बचाए गए बच्चों के लिए एक “इंसान नहीं फ़रिश्ता बन कर आया था”, ये शब्द उन अभिभावकों के थे जो अपने जीवित बच्चों को गले लगाते हुए कह रहे थे |  काश ! हम सबसे पहले एक अच्छे इंसान बन कर सामाजिक सौहार्द को सींचने का काम कर सकते !

पूरन चन्द्र काण्डपाल
29.09.2019

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