Friday 6 September 2019

Bhaim ki baat : भैम कि बात

बिरखांत - 280 : भैम कि बात ( संस्मरण )

     मि काल्पनिक भौत कम लेखनू | ज्ये देखौ या ज्ये है सकूं या ज्ये करी जै सकूं, मी उई लेखनू | अंधविश्वास क विरोध मी अक्सर करनू | अंधविश्वास क एक रूप भैम लै छ | भैम या वहम भौत नकि चीज छ | यैक इलाज लै क्ये नि हय | जो भैम क शिकार है जांछ वीक चैन- सुकून सब उड़ि जांछ, यां  तक कि उ रोगिल लै है सकूं | म्यर मानण छ कि भैम कैं मन में नि पनपण दिई जाण चैन | य सम्बन्ध में एक पुराणि याद यां बतूण चानू |

      बात १९७१ कि छ जब मि आपण सैनिक दगड़ियां दगै पंजाब क हुसैनीवाला बॉर्डर पर सतलज नदी क किनार एक छोटि बैरेक में रौंछी | हम आठ लोग छी उ बैरेक में | तब मेरि उम्र मात्र २३ वर्ष छी और मि बैरेक में सबूं है नान छी | नान हुण बावजूद लै सब म्येरि भौत कदर करछी, म्ये पर विश्वास करछी | ब्याव क टैम पर जब बैरेक में सब ऐ जांछी तो खूब हंसी- मजाक- चुट्कुल और आपसी बहसबाजी हिंछी | कभैं घर कि बात, कभैं ड्यूटी कि बात और कभैं यथां- उथा कि अंजड़ि- कंजड़ि बात | कभैं- कभैं आपस में खुराफात या जुमलेबाजी लै करछी | क्वे ज्यादै बुलांछी क्वे कम पर बलाण या एक -दुसरै दगै छेड़खानी या चुहुलबाजी चलते रैंछी |

      हमार बीच एक त्याड़ि ज्यू लै छी जो सबूं है कुछ अलग छी पर उं भौत शरीफ छी |  उं भौत कम बलांछी पर म्ये दगै उनर बलाण- च्वलाण औरों है ज्यादै छी | उं म्येरि हरेक बात कैं भौत संजीदगी क साथ लिछी | उं नै-ध्वे बेर बदन पर दैण क तेल कि मालिश करछी | बिलकुल सौम्य प्रकृति छी उनरि | उं भगवान कि फोटो क सामणी रोज अगरबत्ती लै जलूँछी | उं बारि-बारि कै एक एक खुट कैं खाट में धरि बेर तेल मालिश करछी | सब लोग उनुकैं टकिटकि लगै बेर चै रौनेर हाय और के न के कैते जनेर हाय |

     एक दिन एक दगड़ी कैं खुराफात सुझि | त्याड़ि ज्यू तब नांहैं जै राय | खुराफाती दगड़ी बलाय, “भइ  आज जता त्याड़ि ज्यू मालिश कराल तो उनुहैं कै दियो कि उनरि एक टांग छोटि छ | देखो त सही के रिऐक्सन करनी उं |” दुसर दगड़ी बलाय, “उ यकीन तबै करल जब यौ (म्यर नाम ल्हीबेर ) उहैं कौल, वरना हमरि त उ सुणा लै ना और यकीन लै नि करा |” म्यार कएक ता मना करण पर लै उं नि मान और मिकैं राजि हुणा क लिजी मजबूर करि दे | जस्सै त्याड़ि ज्यू नै-ध्वे बेर आय और बारि- बारि कै टांगों कि मालिश करण लाग, मील उनरि उज्यां चै बेर कै दे, “त्याड़ि ज्यू तुमरि हौ बौं टांग मिकैं ज़रा छोटि जसि लागैं रै |” सबूं ल एकसाथ हां में हां मिलै दी, “होय देखिण त रैछ |” त्याड़ि ज्यू आपण द्विये टांगों कैं जोड़ि बेर देखैं फै गाय |

     त्याड़ि ज्यू कैं म्यार कौण पर यकीन है गोय कि उनरि बौं टांग छोटि छ  | एक दिन एकांत में गंभीर है बेर उं मीहूं पुछण लाग, “यार यौ छोटि क्यले है हुनलि ?” मील उनुकैं समझा कि टांग ठीक है जालि | त्याड़ि ज्यू कैं भैम है गोय की उनरि बौं टांग छोटि छ | लगभग एक महैण बाद तब भौत दुःख हौछ जब देखौ कि त्याड़ि ज्यू कि उ टांग सचमुच आदू इंच छोटि हैगे | मिकैं यस लागौ कि मजाक- मजाक में हमूल भौत ठुलि गलती करि दी | त्याड़ि ज्यू भौत उदास रौण फै गाय और मि आपूकैं एक मसमारि जस देखण फै गोय किलै कि त्याड़ि ज्यू समझनेर हाय कि मि क्वे लै किस्में कि घटिय खुराफाती मजाक नि करि सकन | मिकैं हिम्मत नि हइ कि मि त्याड़ि ज्यू हैं सांचि बात कसी कौं ताकि उनर भैम मिट जो |

     अघिल ऐतवार हैं मौक देखि बेर मि त्याड़ि ज्यू कैं यूनिट क नजीक  सतलज नदी क किनार पर ल्ही गोय | वां मील त्याड़ि ज्यू कैं शुरू बटि  आखिर तक कि पुरि कहानि बतै दी और उनार कोखि में आपण मुनव धरि बेर कतू ता माफि मांगी | जब उनुकैं म्येरि बात क यकीन है गोय तो हाम वां बै वापस ऐ गाय | कुछ दिन बाद त्याड़ि ज्यू कि टांग ठीक है गेइ हो और उं पैलिका बजाय आब थ्वड़- भौत बलाण और मजाक लै करण फै गाय | टांग छोटि हुण क कारण भैम छी | जब हम भैम क शिकार है जानू तो सबूं है ज्यादै हमार ग्रंथी तंत्र (glandular system) पर असर पडूं | कएक ग्रंथि त काम करण बंद करि दिनी और कएक ज्यादै सक्रीय है जानी | त्याड़ि ज्यू कि एड़ी कि मसल यौ भैम क वजैल कुछ सिकुड़ ग्ये और उं ट्यड़ हिटण फै गाय किलै कि उं मानि गाछी कि उनरि एक टांग छोटि हैगे | त्याड़ि ज्यू क भैम मिटते ही सब ठीक है गोय पर मी आपूं कैं माफ़ नि कर सक | जो मनखी म्ये पर भौत यकीन करछी उ दगै मील यस मजाक नि करण चैंछी | अंत में कूण चानू कि यस क़िस्म क मजाक कै दगै लै नि हुण चैन और मैंसों कैं कभैं लै भैम क शिकार नि बनण चैन किलै कि भैम क क्वे इलाज लै न्हैति |

पूरन चन्द्र काण्डपाल
07.09.2019

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