Thursday 20 September 2018

Ladalon ko kichen : लाडलों को किचन कर्म

खरी खरी - 308 : लाडलों को भी किचन कर्म मालूम हो ।

     दुनिया बदल रही है । सामाजिक बदलाव की बयार चल पड़ी है । एक समाचार के अनुसार महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से तैयार मसौदा प्रस्ताव को यदि केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी मिल जाती है तो स्कूलों में लड़कों के लिए गृहविज्ञान का अध्ययन अनिवार्य हो सकता है । अभी तक गृहविज्ञान का विषय केवल लड़कियों के लिए था । यदि इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया (अवश्य स्वीकार किया जाना चाहिए) तो इससे लैंगिक संवेदनशीलता को बढ़ावा मिलेगा और गृहविज्ञान तथा शारीरिक शिक्षा लड़कियों और लड़कों के लिए अनिवार्य हो जाएगी ।

     आज भी हमारे कुछ घरों में लड़की और लड़के में भेदभाव होता है । उनके खान-पान, रहन-सहन यहाँ तक कि शिक्षा में भी भेदभाव देखने को मिलता । लड़के के लिए लड़की के बजाय बेहत्तर शिक्षा के बारे में सोचा जाता है । जहाँ तक घर के काम का प्रश्न है लड़की को रसोई कार्य में दक्ष बनाया जाता है जबकि लड़के को सलाद काटना, नीबू पानी या चाय बनाना अथवा आटा गूंदना तक नहीं आता ।  यहां तक कि बेटों को बर्तन धोने भी नहीं आते । घर के कानून बेटी और बेटे के लिए एक जैसे हों ताकि बेटी को कोई निराशा या पक्षपात की भावना महसूस न होने लगे ।

     हमें इस कटु सत्य को भी स्वीकार करना होगा कि लड़का भलेही देर रात तक घर आये, हम उससे कुछ नहीं कहते जबकि लड़की से हम पचास सवाल पूछते हैं । सुरक्षा की दृष्टि से लड़कियों की फिक्र होना ठीक है पर लड़के से भी पूछा जाय कि वह इतनी देर तक कहाँ था, क्या कर रहा था ? यदि हम दोनों को एक जैसी परवरिश दें तो हमारे लाडलों और लाडलियों का भविष्य उज्ज्वल होगा तथा लाडलियाँ भी पीछे नहीं रहेंगी ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
21.09.2017

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