Wednesday 26 September 2018

2 oct ko aisa mat karo : 2 अक्टूबर को ऐसा मत करो यारो

खरी खरी -313 : 2 अक्टूबर को ऐसा मत करो यारो !!

      1 अक्टूबर 1994 की रात जब उत्तराखंड से हमारी बहनें राज्य की मांग के लिए अहिंसक आंदोलन करने दिल्ली की गद्दी को चेताने के लिए बसों से आ रही थी तो उन्होंने सोचा भी नहीं होगा की कंस के राक्षस 2 अक्टूबर की भोर को रामपुर तिराहे पर बांगोवाली गांव के पास उनका अपमान करेंगे । उनके हाथ में उस दिन दराती भी नहीं थी अन्यथा उन नरपिशाचों के चिथड़े उड़ गए होते । उन्हें पहली बार कमर में दराती नहीं होने की कमी खली ।

    इसी तरह 1994 के राज्य आंदोलन में 42 उत्तराखंडी शहीद हो गए । इन लोगों ने आंदोलन में कूदते समय यह नहीं सोचा होगा कि आज वे शहीद हो जॉयेंगे । इन की वीरगति से इनके घरों के दीपक बुझ गए । सोचिए क्या बीती होगी इन परिवारों पर । अपने लिए नहीं मरे ये । ये उत्तराखंड राज्य के लिए मरे । इन्हें नमन ।

        1- 2 अक्टूबर की उस काली रात को  उत्तराखंड के लिए भुलाना मुश्किल है । भूलेगा भी नहीं क्योंकि दोनों ही घटनाएं दुःखद, शर्मनाक और निंदनीय थीं । ऐसे दिन पता नहीं उत्तराखंड के कुछ लोग रंगारंग आयोजन क्यों कर रहे हैं यह समझ से परे है ? कभी भी नाचो-गाओ परन्तु 2 अक्टूबर को किसी के जख्मों पर नमक मत छिड़को । यदि आप आत्मा में विश्वास रखतें हैं तो उन 42 शहीदों की आत्मा के बारे में भी सोचो । देश की 2 महान हस्तियों, गांधी- शास्त्री को 2 अक्टूबर को विनम्र श्रद्धांजलि के अलावा उत्तराखंड के लिए यह दिन कालादिवस के रूप में ही है । 'सबको सन्मति दे भगवान...."

पूरन चन्द्र काण्डपाल
27.09.2018

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