खरी खरी - 304 : हिन्दी की वेदना
(14 सितम्बर हिन्दी दिवस)
हिन्दी अपनी राष्ट्र की भाषा
पढ़ लिख नेह लगाय,
सीखो चाहे और कोई भी
हिन्दी नहीं भुलाय,
हिन्दी नहीं भुलाय
मोह विदेशी त्यागो,
जन जन की ये भाषा
हे राष्ट्र प्रेमी जागो,
कह ‘पूरन’ कार्यालय में
बनी यह चिंदी,
बीते इकहत्तर बरस
अभी अपनाई न हिन्दी |
लार्ड मैकाले ने भारत में
अंग्रेजी की ऐसी जड़ जमाई,
अंग्रेजों के जाने के बाद भी
अंग्रेजी उखड़ नहीं पाई,
भले ही यू एन में कुछ
लोगों ने हिन्दी पहुंचाई,
पर अपनी संसद में तो
अंग्रेजी की ही है दुहाई ।
( हिन्दी दिवस की शुभकामनाएं तो वे समझेंगे नहीं, इसलिए इंडिया में हैप्पी हिन्दी डे तो टु आल। )
पूरन चन्द्र काण्डपाल
14.09.2018
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