Friday 25 September 2020

LAKH K KHAAK : लाख क खाक

खरी खरी -704 : लाखक है जां खाक

मंखियैक जिंदगी 


लै कसि छ,


हव क बुलबुल


माट कि डेल जसि छ ।

जसिक्ये बुलबुल फटि जां


मटक डेल गइ जां,


उसक्ये सांस उड़ते ही


मनखि लै ढइ जां ।

मरते ही कौनी 


उना मुनइ करि बेर धरो,


जल्दि त्यथाण लिजौ


उठौ देर नि करो ।

त्यथाण में लोग कौनी


मुर्द कैं खचोरो,


जल्दि जगौल


क्वैल झाड़ो लकाड़ समेरो ।

चार घंट बाद


मुर्द राख बनि जां,


कुछ देर पैली लाख क छी


जइ बेर खाक बनि जां ।

मुर्दा क क्वैल बगै बेर


लोग घर ऐ जानीं,


घर आते ही जिंदगी की 


भागदौड़ में लै जानीं ।

मनखिये कि राख देखि 


मनखी मनखी नि बनन,


एकदिन सबूंल मरण छ


यौ बात याद नि धरन ।

(कोरोना संक्रमणल देश में तिरानबे हजार है ज्यादा लोग अकाल मौत में मरि गईं जमें करीब पौण तीन सौ डाक्टर लै छीं । इनुकैं श्रद्धांजलि । सबूंल आपण बचाव करण चैंछ और मास्क लगूण चैंछ। )

पूरन चन्द्र काण्डपाल


26.09.2020

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