खरी खरी -704 : लाखक है जां खाक
मंखियैक जिंदगी
लै कसि छ,
हव क बुलबुल
माट कि डेल जसि छ ।
जसिक्ये बुलबुल फटि जां
मटक डेल गइ जां,
उसक्ये सांस उड़ते ही
मनखि लै ढइ जां ।
मरते ही कौनी
उना मुनइ करि बेर धरो,
जल्दि त्यथाण लिजौ
उठौ देर नि करो ।
त्यथाण में लोग कौनी
मुर्द कैं खचोरो,
जल्दि जगौल
क्वैल झाड़ो लकाड़ समेरो ।
चार घंट बाद
मुर्द राख बनि जां,
कुछ देर पैली लाख क छी
जइ बेर खाक बनि जां ।
मुर्दा क क्वैल बगै बेर
लोग घर ऐ जानीं,
घर आते ही जिंदगी की
भागदौड़ में लै जानीं ।
मनखिये कि राख देखि
मनखी मनखी नि बनन,
एकदिन सबूंल मरण छ
यौ बात याद नि धरन ।
(कोरोना संक्रमणल देश में तिरानबे हजार है ज्यादा लोग अकाल मौत में मरि गईं जमें करीब पौण तीन सौ डाक्टर लै छीं । इनुकैं श्रद्धांजलि । सबूंल आपण बचाव करण चैंछ और मास्क लगूण चैंछ। )
पूरन चन्द्र काण्डपाल
26.09.2020
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