Friday 11 September 2020

Apka dil se dhanywaad : आपका दिल से धन्यवाद

मीठी मीठी - 511 :  आपका दिल से धन्यवाद 


       मुझे स्मरण है कि लेखन के मेरे शब्द सबसे पहले नवभारत टाइम्स समाचार पत्र में वर्ष 1989 में छपे । तब से 11 सितम्बर 2020 तक इन 32 वर्षों में विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं, पुस्तकों, अखबारों और स्मारिकाओंं में मेरे शब्दों को जगह मिलते रही । कभी कम तो कभी अधिक शब्द, कभी छोटा तो कभी बड़ा लेख, कभी कहानी तो कभी कविता सहित निबंध, सामान्य ज्ञान, जीवनी आदि छपते रहे । ये सब गद्य या पद्य के रूप में कभी कुमाउनी में तो कभी हिंदी में लिखे गए जबकि दो पुस्तकें अंग्रेजी सहित तीन भाषाओं में लिखी गईं । इसी दौर में मैंने हिंदी में 17 और कुमाउनी में 13 सहित कुल 30 पुस्तकें भी लिखी । विगत सात वर्ष से सोसल मीडिया में भी खरी खरी, बिरखांत, मीठी मीठी, ट्वीट आदि शीर्षक से दो हजार सात सौ से अधिक छोटे - बड़े लेख लिख चुका हूं । सभी पाठकों का आभार । 

       पाठकों के साथ ही मैं आज उन पत्र - पत्रिकाओं, पुस्तकों और समारिकाओं को भी हार्दिक धन्यवाद करना चाहता हूं जिन्होंने मेरे शब्दों को जगह दी तथा मेरे उद्गारों को समाज तक पहुंचाया । इन पत्र - पत्रिकाओं और स्मारिकाओं के नाम आज प्रस्तुत करते हुए मुझे इनका आभार प्रकट करने में बहुत हर्ष हो रहा है । ये हैं - नव भारत टाइम्स, राष्ट्रीय सहारा, साथी, उपवन, हिल संदेश, प्यारा उत्तराखंड, उत्तरांचल पत्रिका, उत्तरांचल धै, गढ़ रैबार, उत्तराखंड जागरण, पंजाब केसरी, देवभूमि की पुकार,  ओमेगा रिपोर्टर, पहरू (अल्मोड़ा), कुमगढ़ (काठगोदाम), कुर्मांचल अखबार (अल्मोड़ा), आदलि कुशलि (पिथौरागढ़), ज्ञान - विज्ञान बुलेटिन, बाल प्रहरी, पंखुड़ी (रुद्रपुर), जनपक्ष आजकल, अलकनंदा, सृजन से, शिल्पकार टाइम्स,  जनधारा, रोहिणी संवाद, कर्मभूमि, पुरवासी(अल्मोड़ा), दुदबोलि (रामनगर),  संस्कारम, स्वाधीन प्रजा, नवल (रामनगर), हिलांश (पटियाला), पर्वत प्रेरणा (हल्द्वानी), संकल्प, गद्यांजलि, ज्ञान सागर कक्षा 7, भारतीय कविता बिम्ब और कौ सुआ - काथ कौ । समारिकाओं में कुछ नाम हैं - गंगोत्री, देवभूमि हमर पहाड़, उत्तराखंड क्लब, रोहिणी व्यायामशाला, म्यर पहाड़, प्रेरणा (मैथिली), म्यर उत्तराखंड ग्रुप, बुरांश, अभिव्यक्ति, उत्तराखंड स्पंदन, श्रृंखला (बारामासा), संघर्षों का राही और ट्रू मीडिया आदि । मैं इन सभी का पुनः दिल से धन्यवाद करना चाहता हूं क्योंकि इन्हीं में संयोजित होकर मेरे मन की उथल - पुथल से उपजे शब्द मेरे उन पाठकों तक पहुंचे जिन्होंने कई बार मेरी कलम को धार लगाई और मेरा मार्गदर्शन भी किया । मैं इन सभी शब्दों के संवाहकों का सदैव ऋणी रहूंगा ।

पूरन चन्द्र कांडपाल

12.09.2020

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