खरी खरी - 515 :अन्धविश्ववास की जकड़
पढ़े-लिखे अंधविश्वासी
बन गए
लेकर डिग्री ढेर,
अंधविश्वास कि मकड़जाल में
फंसते न लगती देर ।
औघड़ बाबा गुणी तांत्रिक
बन गए भगवान्
आंख मूंद विश्वास करे जग,
त्याग तत्थ – विज्ञान ।
लूट करे पूजा दर्शन में
प्रसाद में लूट मचावे,
धर्म के नाम पर जेब तराशे
मृदु उपदेश सुनावे ।
उलझन सुलझे करके हिम्मत
और नहीं मंत्र दूजा,
सार्थक सोच विश्वास दृढ़
मान ले कर्म को पूजा ।
अंधविश्वास ने जकड़ा जग को
यह जकड़ मिटानी होगी,
कूप मंडूक की जंजीरों से
मुक्ति दिलानी होगी ।
अंधियारा ये अंधविश्वास का
मुंह बोले नहीं भागे,
शिक्षा का हो दीप प्रज्ज्वलित
तब अंधियारा भागे ।
पूरन चन्द्र कांडपाल
16.09.2020
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