खरी खरी - 400 : रोना नहीं
रोने से कभी
कुछ नहीं मिलता,
रह नहीं गए अब
आंसू पोछने वाले ।
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राह में तू जरा
चल संभल के,
ताक पर बैठे हैं
राह रोकने वाले।
दूर क्यों जाते हो
ढूढने उन्हें,
सामने ही हैं
पीठ पीछे बोलने वाले।
भरोसा मत कर
दिल अजीज कह कर,
शरीफ से लगते हैं
छूरा घोपने वाले।
संभाल अपने को
मतलब परस्तों से,
दे नहीं लगायेंगे
भेद खोलने वाले।
साथ देने की
कसम पर यकीन मत कर,
बहाना ढूढ़ लेते हैं
साथ छोड़ने वाले।
धर्म और मजहब सब
एक ही सीख देते हैं,
मतलब जुदा निकल लेते हैं
समाज तोड़ने वाले।
घर की बात
घर में ही रहने दो,
लगाकर कान बैठे हैं
घर को फोड़ने वाले।
होकर अडिग चलता चल
राह पर अपनी,
बड़बड़ाते रह जायेंगे,
तुझ से चौकने वाले।
दो बोल 'पूरन'
बोल संभल के
नुक्ता ढूढ़ ही लेंगे
तुझे टोकने वाले।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
19.03.2019
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