Friday 22 March 2019

Bhagat singh : भगत सिंह

खरी खरी - 403 : विश्व जल दिवस-बिन पानी सब सून

    विश्व में पानी की कमी को देखते हुए 22 मार्च 1992 को रियोडीजेनेरो में प्रतिवर्ष इस दिन 'जल दिवस' मनाए जाने की घोषणा की गई । आज भी दुनिया के डेड़ अरब से अधिक लोगों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है । नदी, तालाब, चश्मे, कुएं पहले ही रसायनों की भेंट चढ़ चुके हैं । वर्षा जल को हम संरक्षित नहीं कर पा रहे हैं । जमीन के अंदर के पानी का स्तर गिर रहा है । एक टन अनाज उत्पादन के लिए एक हजार टन पानी की आवश्यकता होती है । कल 22 मार्च को कितने लोगों ने जल दिवस मनाते हुए जल -जागृति की हम कह नहीं सकते ?

      एक ही रास्ता है कि हम पानी की उपयोगिता को समझते हुए पानी बचाएं अर्थात कम पानी प्रयोग करें और पानी की बरबादी न होने दें । 'बूंद बूंद से घड़ा भरता है ' यह हम जानते हुए भी अपने घर में कपड़े धोने, नहाने, बर्तन धोने, गाड़ी धोने में बहुत पानी बरबाद करते हैं । दाड़ी बनाते समय और दांत ब्रश करते समय भी हम नल खुला छोड़ देते हैं ।  कल्पना करिये जब पानी नहीं रहेगा तो हम जीवित नहीं रह सकेंगे । इसलिए 'जल ही जीवन है' वाली बात को गंभीरता से मंथन करें और अपनी भावी पीढ़ी के लिए भी कुछ जल छोड़ जाएं । रहीम जी ने हमें बहुत पहले चेताया है-

रहीमन पानी राखिये
बिन पानी सब सून,
पानी गए न ऊबरे
मोती मानुष चून ।

     जल दिवस 22 मार्च को ही नहीं बल्कि प्रत्येक दिन होना चाहिए तभी हमारी भावी पीढ़ी के लिए जल बचेगा ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
23.03.2019

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