Sunday 4 November 2018

Kanfusi : कनफुसी

मीठी मीठी - 178 : कनफुसी

पढ़ी -लेखी हुणि झुसराम
अनपढ़ हूँ झूसी कौनीं,
घरोंफना मुसीभ्याकुड़ हूँ
क्वे भुरमुसी कौनीं,
जो कान भरणियाँ हूँ गौं में
हाम चुकुलखोर कौंछी,
शहर में यूं शातिरों हूँ
कनफुसी कौनीं ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
02.11.2018

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