Tuesday 13 November 2018

Gharwai bhakti : घरवाइ कि भक्ति कौसल्या केकई सुमित्रा दसरथाक छी राणी तीन, उं बारि बारि कै बजूंछी दसरथ क बीन । अच्याल यूं तीनोंक रोल घरवाइ एकलै निभै दीं, कौसल्या सुमित्रा कम केकई जरा ज्यादै बनि बेर दिखै दीं । जभणि क्वे मंथरा कि नजर लै जालि घरवाइ पार, समझो घर में चलक ऐगो बिगड़ि गो घरबार । भ्यार भलेही सबूं हैं बागै चार गुगौ, घर आते ही भिजाई बिराउ जास बनि जौ । घरवाइक सामणि फन फन नि करो, मुनव कनौ, खांहूँ नि लै बनै सकना चहा तब लै बनौ । साग-पात सौद पत्त ल्हीहूँ उ दगै बाजार जौ, समान उ आफी ख़रीदलि तुम झ्वल पकड़ि पिछाड़ि बै ठाड़ हैरौ । पूरन चन्द्र काण्डपाल 14.11.2018

मीठी मीठी - 183 : घरवाइ कि भक्ति

कौसल्या केकई सुमित्रा
दसरथाक छी राणी तीन,
उं बारि बारि कै
बजूंछी दसरथ क बीन ।

अच्याल यूं तीनोंक रोल
घरवाइ एकलै निभै दीं,
कौसल्या सुमित्रा कम
केकई जरा ज्यादै
बनि बेर  दिखै दीं ।

जभणि क्वे मंथरा कि
नजर लै जालि घरवाइ पार,
समझो घर में चलक ऐगो
बिगड़ि गो घरबार ।

भ्यार भलेही सबूं हैं
बागै चार गुगौ,
घर आते ही भिजाई
बिराउ जास बनि जौ ।

घरवाइक सामणि फन फन
नि करो, मुनव कनौ,
खांहूँ नि लै बनै सकना
चहा तब लै बनौ ।

साग-पात सौद पत्त ल्हीहूँ
उ दगै बाजार जौ,
समान उ आफी ख़रीदलि
तुम झ्वल पकड़ि
पिछाड़ि बै ठाड़ हैरौ ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
14.11.2018

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