मीठी मीठी - 183 : घरवाइ कि भक्ति
कौसल्या केकई सुमित्रा
दसरथाक छी राणी तीन,
उं बारि बारि कै
बजूंछी दसरथ क बीन ।
अच्याल यूं तीनोंक रोल
घरवाइ एकलै निभै दीं,
कौसल्या सुमित्रा कम
केकई जरा ज्यादै
बनि बेर दिखै दीं ।
जभणि क्वे मंथरा कि
नजर लै जालि घरवाइ पार,
समझो घर में चलक ऐगो
बिगड़ि गो घरबार ।
भ्यार भलेही सबूं हैं
बागै चार गुगौ,
घर आते ही भिजाई
बिराउ जास बनि जौ ।
घरवाइक सामणि फन फन
नि करो, मुनव कनौ,
खांहूँ नि लै बनै सकना
चहा तब लै बनौ ।
साग-पात सौद पत्त ल्हीहूँ
उ दगै बाजार जौ,
समान उ आफी ख़रीदलि
तुम झ्वल पकड़ि
पिछाड़ि बै ठाड़ हैरौ ।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
14.11.2018
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