स्मृति - 642 : हीरा सिंह राणा ज्यूकि याद
आज 16 सितम्बर 2021 हैं सुप्रसिद्ध लोकगायक, गीतकार और कवि हीरा सिंह राणा ज्यूक जन्मदिन छ। जिंदगी भर ऊँ हमरि मातृभाषा कुमाउनी कि सेवा में एक संत-फकीर कि चार निःस्वार्थ लागी रईं । उनर रचना संसार भौत ठुल छी । उनूल नौ रसों में देशप्रेम, श्रृंगार, प्रेरणादायी, विरह, भक्ति, उत्तराखंड और संदेशात्मक भौत गीत- कविता लेखीं । उनुहैं हम आपणि संस्कृति और भाषाक धरोहर लै कै सकनूं । ऊं दिल्ली में कुमाउनी, गढ़वाली, जौनसारी भाषा अकादमीक पैल उपाध्यक्ष रईं पर उनर कार्यकाल भेौत कम रौछ। य कोरोना संक्रमणक दौर छी। 13 जून 2020 हुणि हृदय गति रुकि बेर दिल्ली में उनर निधन हौछ।
राणा ज्यू आज हमारा बीच न्हैति पर ऊं जनमानस में छाई हुई एक महान विभूति छी । उनर अमुक गीत भल छ अमुक गीत भौत भल छ , यैक विश्लेषण करण आसान न्हैति । उनु दगै कवि सम्मेलन में म्यर लै कएक ता दगड़ हौछ । ऊँ एक सरल, सहज, शांत और एक फ़कीर प्रवृतिक मनखी छी । राणा ज्यू कैं देखते ही जो गीत-कविता म्यार कानों में गूंजण फै जानीं ऊँ छीं - 'अहा रे जमाना, त्यर पहाड़ म्यर पहाड़, लस्का कमर बादा, म्येरि मानिलै डानि, अणकसी छै तू, आजकल है रै ज्वाना, आ लिली बाकरी लिली...,
आंखरों कि माव बनै बेर गीत- कविताक रूप में हमार बीच में धरणी य सुरोंक सम्राट कैं लोग आज लै भौत याद करनी । आपण रचनाओंल हमर साहित्य, संस्कृति और कला कैं सिंचित करणी राणा ज्यू लिजी 2 फ़रवरी 2016 बटी लगातार चार ता मील आपण आंखरों में उम्मीद जतै रैछ कि उनुकैं पद्म सम्मान दिई जाण चैंछ पर "कैहूं कछा को सुनो जंगलाक हाल " कै गईं दिवंगत शिवदत्त सती ज्यू। दिवंगत राणा ज्यू कैं विनम्र श्रद्धांजलि।
पूरन चन्द्र काण्डपाल
16.09.2021
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