Wednesday 1 August 2018

We char din : वे चार दिन अपवित्र नहीं

बिरखांत  -223 : वे चार दिन अपवित्र नहीं

     एक समाचार पत्र के विचार विंडोका कालम में कुछ समय पहले 'वे चार दिन' के बारे में एक लेख छपा था । शायद कुछ मित्रों ने  पढ़ा भी हो । सूक्ष्म में बताता हूं, कालम की लेखिका कहती है, “गुहाटी (असम) के कामाख्या मंदिर की देवी को आषाढ़ के महीने में चार दिन तक राजोवृति होने से मंदिर चार दिन बंद कर दिया जाता है |  फिर चार दिन बात रक्त-स्रवित वस्त्र भक्तों में बांट दिया जाता है | बताया जाता है कि इस दौरान ब्रहमपुत्र भी लाल हो जाती जिसके पीछे अफवाहें हैं कि पानी  के लाल होने के पीछे पुजारियों का हात होता है |”

     लेखिका ने  ‘रजोवृति के दौरान देवी पवित्र और महिला अपवित्र क्यों?'  इस बात पर सवाल उठाते हुए अपने बचपन की घटनाओं की चर्चा की है कि जब वे इस क्रिया से गुजरती थी तो उनकी मां उन्हें अछूत समझती थी | लेखिका ने लेख में कई सवाल पूछे हैं | कहना चाहूंगा कि यहां सवाल स्वच्छता का होना चाहिए न कि महिलाओं की अपवित्रता का |

     उत्तराखंड में यह स्तिथि होने पर महिलायें  पहले गोठ (पशु निवास) रहती थी | बाद में चाख के कोने (मकान का प्रथम तल में बाहर का कमरा) में रहने लगी, परन्तु रहती थी अछूत की तरह | शिक्षा के प्रसार से आज बदलाव आ गया है |  बेटियों का विवाह बीस  से पच्चीस या इससे भी अधिक उम्र में हो रहा है | अब न लोगों को छूत लगती है और न किसी महिला में ‘देवी’ या ‘देवता’ औंतरता (प्रकट) है | घर –मकान- वातावरण सब पहले जैसा ही है, सिर्फ अब  छूत नहीं लगती |

     सत्य तो यह है कि वहम (भ्रम), पाखण्ड, आडम्बर और अंधविश्वास के बेत से महिलाओं को दबा- डरा कर रखने की परम्परा का न आदि है न अंत | बात- बात में बहू को देख सास में ‘देवी’ औंतरना फिर गणतुओं, जगरियों, डंगरियों और बभूतियों द्वारा बहू को प्रताड़ित किया जाना एक सामान्य सी बात थी (है) |

      ऋतुस्राव (रजस्वला अर्थात पीरियड ) के वे चार दिन न तो कोई छूत है और न अपवित्रता | यह एक प्रकृति प्रदत क्रिया है जो यौवन के आरम्भ होने या उससे पहले से उम्र के पैंतालीसवे पड़ाव या बाद तक सभी महिलाओं में होती है और इसका नियमित होना स्त्री के स्वस्थ शरीर का परिचायक है । इस दौरान स्वच्छता सर्वोपरि है बस |  इसमें छूत या अस्पर्श जैसी कोई बात नहीं है । स्कूल जाने वाली छात्राओं तक को अब इस प्रक्रिया से जानकारी दी जाने लगी है जो एक अच्छी बात है । अगली बिरखांत में कुछ और...

पूरन चन्द्र काण्डपाल
02.08.2018

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