Sunday 26 August 2018

Charu chandr chandola: चारु चंद्र चंदोला

मीठी मीठी- 150 :  चारु चन्द्र चंदोला स्मृति सभा

    25 अगस्त 2018 को गढ़वाल भवन नई दिल्ली में दिवंगत पत्रकार-साहित्यकार चारु चन्द्र चंदोला की स्मृति में एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई जिसका आयोजन उत्तराखंड लोक भाषा साहित्य मंच दिल्ली (संयोजक दिनेश ध्यानी जी), हिमवंत (चंद्र कुंवर बर्त्वाल स्मृति मंच- संयोजक डा केदारखंडी जी), उत्तराखंड साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कला मंच (पं) दिल्ली और उत्तराखंड आर्य समाज विकास समिति (पं) दिल्ली (महासचिव रमेश हितैषी जी) द्वारा किया गया । चंदोला जी का जन्म 22 सितम्बर 1938  को म्यांमार में हुआ था जो मूल रूप से पौड़ी के रहने वाले थे और उनका निधन 18 अगस्त 2018 को देहरादून में हुआ । उनका दाह संस्कार उनकी छोटी बिटिया ने किया ।

     चंदोला जी अनेक समाचार पत्रों में आलेख और कालम लिखते हुए "युगवाणी" के समन्वय संपादक बने और वर्षों तक इसकी सेवा में लगे रहे । साहित्य क्षेत्र में भी उन्होंने बहुत कार्य किया । उनकी प्रकाशित पुस्तकों में प्रमुख हैं, 'कुछ नहीं होगा', 'अच्छी सांस’, ‘चलते-चलाते’, ‘उगने ने दो दूब’, ‘बिन्सरि’, ‘पौ’, ‘कविता में पहाड़ आदि । चारु चंद्र चंदोला की लेखनी में पहाड़ हमेशा प्रमुखता में रहा। वे प्रमुख अखबारों में छपने वाले अपने कॉलम ‘सरग दिदा’ में पहाड़ के ज्वलंत मुद्दों को लेकर दहाड़ते थे, तो अपनी काव्य रचनाओं में उतनी ही सौम्यता से पहाड़ की सुंदरता का बखान भी करते थे । (साभार जगमोहन रौतेला जी)

     उत्तराखंड के कएक हिंदी, कुमाउनी और गढ़वाली कलमकारों और कवियों को हम जानते हैं जिनकी एक लम्बी सूची है और जो उत्तराखंड या उत्तराखंड से दूर निवास करते हैं । इनमें से कुछ दिवंगत हो गए हैं जिनकी जयंती या पुण्यतिथि यदाकदा कुछ साहित्य प्रेमी मनाते रहते हैं । जिस तरह चंदोला जी की स्मृति मनाने के लिए उक्त चार संस्थाएं आगे आईं उसी तरह कोई भी किसी भी महापुरुष की स्मृति में आयोजन कर सकता है और करते भी रहते हैं । हम यह कहना उचित नहीं समझते कि अमुक की याद आई और अमुक की याद क्यों नहीं आई ? इसमें किसी के लिए किसी प्रकार की बाध्यता नहीं है क्योंकि इस तरह की कोई आर्थिक सहयोग प्राप्त केद्रीय संस्था यहाँ नहीं है जो सभी दिवंगत महापुरुषों के स्मरण में आयोजन कर सके । यदि कोई व्यक्तिगत या संस्थागत तौर से किसी दिवंगत महापुरुष का स्मरण करता है या कोई अन्य साहित्यिक आयोजन करता है तो यह उत्तम बात होगी जिसे सामाजिक पुण्य कृत्य समझा जाएगा ।

     उक्त स्मृति सभा में करीब 60-70 सुजन आए थे जिनमें साहित्यकार, पत्रकार, कवि, राजनीतिज्ञ, संस्थाओं के प्रतिनिधि तथा समाजसेवी थे और कई लोगों ने लगभग इस तीन घंटे के सायंकालीन आयोजन में अपने विचार व्यक्त किये । सभा की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार ललित केशवान जी ने की और संचालन दिनेश ध्यानी जी ने किया । हम उक्त सभी आयोजकों का इस पुनीत कार्य के लिए  धन्यवाद करते हुए सभी आगन्तुकों का हार्दिक आभार प्रकट करते हैं ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
27.08.2018

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