Tuesday 28 August 2018

Sarvdaleey maafinama : सर्वदलीय माफीनामा

खरी खरी-298 : सर्वदलीय माफीनामा

      जिस तरह लोकसभा का कोई भी सत्र आरम्भ होने से पहले सदन के अध्यक्ष एक सर्वदलीय सम्मेलन बुलाते हैं और सबसे सदन को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग की अपील करते हैं उसी तर्ज पर एक बार इस देश में एक सर्वदलीय माफी आयोजन भी होना चाहिए । देश को आजाद हुए 71 वर्ष हो गए हैं । हमारे राजनैतिक दल मुद्दों को रपटाने- भटकाने के लिए एक दूसरे से अमुक दंगे की माफी मांगने के बारे में कहने लगते हैं और मुद्दा भटक जाता है ।

       इस समस्या से निजात पाने के लिए सभी दल सर्वसम्मति से एकत्र होकर एक बार आजादी से लेकर कैराना (2017) तक के सभी दंगों की मिलकर माफी मांग लें । इसमें 1947 के बाद के सभी दंगों की बात हो जिसमें 1984 के दंगे, 2002 के गुजरात दंगे, मेरठ, मुरादाबाद, मिर्चपुर के दंगे, मोब लिंचीग के दंगे , बिहार- उ प्र- महाराष्ट्र सहित सभी राज्यों के नाना प्रकार के दंगे शामिल कर लिए जाने चाहिए ताकि देश को बार बार इन दंगों की चर्चा से निजात मिल सके ।

     माफीनामा आयोजन के अंत में समझौता हो कि आज से देश में कोई अमुक दंगे की माफी की बात नहीं करेगा और देश में आगे दंगे न हों इस तरह का विष वमन नहीं करेगा । साथ ही अपने अपने दल के प्रवक्ताओं को भी दंगों की बात टीवी चैनलों पर नहीं करने की हिदायत देगा ताकि जनता को इस माफी मांगो जैसी कुचैली बहस से मुक्ति मिले और अपने टी वी बन्द न करने पड़ें ।उम्मीद है सभी दल इस मुद्दे पर एक राय शीघ्र बनाएंगे ताकि आने वाले चुनाव दंगा-माफी मांगो बहस से मुक्त रहें ।

पूरन चन्द्र काण्डपाल
29.08.2018

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